लखनऊ : आए दिन देश के सपूत यानी भारतीय सेना मां भारती की सुरक्षा करने के दौरान अपनी जान की कुर्बानी दे देते हैं। ऐसे में ही कैप्टन अंशुमान सिंह ने आग में फंसे अपने साथियों को बचाने के लिए अपनी जान की कुर्बानी दे दी। शहीद अंशुमान की इस बहादुरी के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत कीर्ति चक्र से सम्मानित किया। बीते दिन दिल्ली में स्थित राष्ट्रपति भवन में उनकी पत्नी व मां को कीर्ति चक्र प्रदान किया गया। बता दें कि शांतिकाल में वीरता के लिए दिए जाने वाला ये दूसरा सबसे बड़ा सम्मान है। वहीं इस बड़े पुरस्कार को लेने के बाद शहीद की पत्नी ने अपनी लव स्टोरी सुनाई थी, उस दौरान वह काफी भावुक भी दिख रही थी। इस बीच अब शहीद कैप्टेन के मां-बाप का एक बयान तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें उनका कहना है कि उनकी बहू अब घर छोड़ कर जा चुकी है। साथ ही अपने साथ वो सबकुछ ले गई है।
बहू को लेकर किए कई खुलासे
बता दें कि शहीद अंशुमान के मां-बाप ने अपनी बहू को लेकर कई खुलासे किए हैं। उनका कहना है कि उनकी बहू अब घर छोड़ कर जा चुकी है। साथ में कई चीजें अपने साथ ले गई है। मीडिया चैनल को इंटरव्यू देते हुए शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा कि , अंशुमान की पत्नी अब घर छोड़ कर अपने माता-पिता के घर जा चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि हमें आज तक ये नहीं मालूम हुआ कि वो हमारा घर छोड़कर क्यों चली गई।
पूजा के दौरान नहीं आई घर
शहीद अंशुमान की पत्नी के ऊपर आरोप लगाते हुए उन्होंने आगे कहा कि वह झूठ बोल रही है। 19 तारीख को यह हादसा हुआ। तब हमने 1 फरवरी को पूजन कराया, जिसमें मैं उन्हें फोन भी किया था आने के लिए। मगर उसमें भी वो नहीं आईं। वो हमेशा एक ही बात करती हैं कि हमें समय चाहिए संभलने के लिए। ऐसे में आज एक साल हो गए और मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि वो संभल गई या नहीं। इस दौरान उनके पिता ने कहा कि स्मृति के घर से जाने के बाद ही वह 10 दिन में ही एक स्कूल में पढ़ाने लगीं। आगे कहा अगर कोई व्यक्ति स्कूल में तभी पढ़ा सकता है जब वह मानसिक रूप से स्थिर हो।
ससुराल में पांच माह ही रहीं
मीडिया से बात करते हुए शहीद अंशुमान के पिता ने कहा कि स्मृति हमलोगों के साथ पांच माह ही रहीं। जब भी हमलोग उनसे बात करने की कोशिश करते तो उनके माता-पिता ही बात करते थे। यहां से जाने के बाद बहू ने कोई भी मैसेज या कॉल का रिप्लाई करना बंद कर दिया। इस दौरान उन्होंने आगे कहा कि उनलोगो की ये प्लानिंग थी। हालांकि 26 जनवरी को बेटे को सम्मान देने की घोषणा हुई थी तभी उनकी अपनी बहू स्मृति से बता हुई है। इस दौरान उन्होंने आगे कहा मेरे पास न बेटा बचा, न बहू बची और न ही इज्जत बची।
बहू कहती है उनको ये पैसा सरकार दे रही हैं
शहीद के पिता ने आगे कहा कि उन्हें सरकार की तरफ से मिलने वाले मुआवजे का एक बड़ा हिस्सा मिला। उन्होंने आगे कहा, “सेना की एक प्रक्रिया होती है. उसके अनुसार, जो निकटतम परिजन को मिलना है वो उसे मिला। वो सब उनको (स्मृति) को मिला। यूपी सरकार के पैसों में से 35 लाख उनको मिले और 15 लाख हमें मिले। आर्मी इंश्योरेंस का पैसा था वो 50-50 हुआ। बाकी पुरस्कार की राशि भी उनको मिलेगी। पेंशन उनको मिलेगी। कीर्ति चक्र की पेंशन भी उनको मिलेगी।” उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता कि उनको (बहू को) और कहां से कितना पैसा मिला। उन्होंने तो हमें परिवार का हिस्सा ही नहीं समझा।” कैप्टन की मां ने कहा कि उनकी बहू कहती है कि उनको ये पैसा सरकार दे रही है.