Wednesday, January 1, 2025

Maha Kumbh: महाकुंभ पहुंचे महंत इंद्र गिरी, बीमारी होने के बाद भी करेंगे शाही स्नान

लखनऊ। प्रयागराज के कुंभ मेले में लगातार देश-विदेश से संत-महात्मा और अखाड़ों के प्रमुख पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में आवाहन अखाड़े के शिविर में महंत इंद्र गिरी महाराज पहुंचे हैं। जिन्हें देखकर सब चौक गए हैं। डॉक्टर ने महंत इंद्र गिरी को बताया है कि उनके दोनों फेफड़े 97 फीसदी से ज्यादा खराब हो चुके हैं। वे ऑक्सीजन सपोर्ट पर यहां आए हैं।

महाकुंभ आने का फैसला लिया

महंत इंद्र गिरी महाराज ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ हरियाणा के हिसार से कुंभ मेले में पहुंचे हैं। सांस लेने में दिक्कत होने के बावजूद भी महंत महाकुंभ में पहुंचे है। यह देखकर हर कोई हैरान है कि इतना बीमार होने के बाद भी वह महाकुंभ स्नान करने के लिए पहुंचे हैं। दोनों फेफड़े खराब होने के बाद महंत को 4 साल पहले डॉक्टरों ने सलाह दी थी कि वे आश्रम से बाहर न जाएं, लेकिन महंत ने अपनी इच्छाशक्ति और आस्था के दम पर महाकुंभ में आने का फैसला लिया है। उन्होंने बताया कि यह कुंभ मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

स्नान करने के बाद ही वापस जाएंगे

चाहे कुछ भी हो जाए, वह तीनों शाही स्नान करने के बाद ही वापस जाएंगे वरना नहीं जाएंगे। हिसार हरियाणा से आए इंद्र गिरी 4 दशक से आवाहन अखाड़े से जुड़े हैं। इंद्र गिरी साल 2020 से ही पंच अग्नि धुनि तपस्या कर रहे हैं। साल 2000 में भी वो पांच तरफ कंडों से बने हवन कुंड के बीच बैठकर तपस्या करते हैं। तपती गर्मी में 5 तरफ से बड़े हवन कुंड की आग से शरीर तपने लग गया था। इस बीच उनके एक शिष्य ने अनजाने में उनके शरीर पर बाल्टी भरकर पानी डाल दिया था, जिसके बाद उन्हें तेज बुखार हो गया।

दोनों फेफड़े खराब हो गए है

उनकी तबीयत खराब हो गई थी। उन्हें डॉक्टरों ने बताया कि उनके दोनों फेफड़े खराब हो गए हैं। सांस लेने में दिक्कत हुई तो ऑक्सीजन सिलेंडर से सांस लेने लगे, जिसके बाद से वे आज तक सिलेंडर के सहारे जी रहे हैं। महंत 1989 से लगातार कुंभ के मेले में आ रहे हैं। वे हर साल अपने शिविर में अपनी देखरेख में भंडारा करते हैं। इतना बीमार होने के बाद भी उन्होंने किसी परंपरा को नहीं छोड़ा है।

सभी को भंडारा खिलाते हैं

वे आवाहन अखाड़े में पहुंचने वाले प्रत्येक शख्स को पूछ-पूछकर पंगत में बैठाते हैं। भोग प्रसाद लेने के बाद उन्हें दक्षिणा भी देते हैं, वो भी अपने हाथों से। बाबा कहते हैं कि प्रयागराज के संगम तट पर कुंभ मेले में उनके प्राण भी चले जाएं तो उनके लिए मोक्ष के द्वार खुल जाएंगे।

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