लखनऊ। इंडोनेशिया में बायोएथेनॉल उत्पादन के लिए बेल्जियम के आकार जितना बड़ा जंगल काटा जा रहा है। इस जंगल में लाखों जीव-जंतुओं का निवास हैं। साथ ही जंगल कटाई से मूल निवासियों को विस्थापित होना पड़ेगा। तेलंगाना में वन कटाई इसी का ही छोटा रूप है, जिसने पूरे भारत में आक्रोश की लहर को पैदा […]
लखनऊ। इंडोनेशिया में बायोएथेनॉल उत्पादन के लिए बेल्जियम के आकार जितना बड़ा जंगल काटा जा रहा है। इस जंगल में लाखों जीव-जंतुओं का निवास हैं। साथ ही जंगल कटाई से मूल निवासियों को विस्थापित होना पड़ेगा। तेलंगाना में वन कटाई इसी का ही छोटा रूप है, जिसने पूरे भारत में आक्रोश की लहर को पैदा की।
हैदराबाद के पास 400 एकड़ में फैले कांचा गचीबावली जंगल की कटाई को लेकर पूरे भारत में आक्रोश फैला है और लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। तेलंगाना सरकार कांचा गचीबावली जंगल की जमीन को IT और इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए इस्तेमाल करना चाहती है, लेकिन इसके लिए लाखों जानवरों के घरों से निकाला जा रहा है। साथ ही पर्यावरण को दांव पर लगाया जा रहा है। इंडोनेशिया सरकार तेलंगाना से भी कई कदम आगे निकली। इंडोनेशिया सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी वन-कटाई परियोजना चलाई।
इंडोनेशिया गन्ने से बनने वाले बायोएथेनॉल, चावल और अन्य खाद्य फसलों के उत्पादन के लिए बेल्जियम के आकार के बराबर के जंगलों को काटकर साफ कर रही है। फसलों के उत्पादन के लिए जंगलों का सफाया किया जा रहा है। जिसकी वजह से जंगलों के जानवरों और इसके मूलनिवासी समूहों को विस्थापित होना पड़ सकता है। स्थानीय समुदायों का कहना है कि वे पहले से ही सरकार समर्थित इस परियोजना से नुकसान झेल रहे हैं। वहीं पर्यावरण पर नजर रखने वाले एक्टिविस्ट इसे दुनिया में सबसे बड़ा नियोजित वन विनाश अभियान बता रहे हैं।
इंडोनेशिया में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वर्षावन है, जिसमें कई वन्य जीवन और पौधों की लुप्तप्राय प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें ओरांगुटान, हाथी और विशाल वन फूल शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रजातियां ऐसी हैं, जो इंडोनेशिया के अलावा कहीं और नहीं पाई जातीं। इंडोनेशिया दशकों से देश की खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए खाद्य संपदा, विशाल बागानों का निर्माण कर रहा है, जिसमें उसे अलग-अलग स्तर पर सफलता मिली है। इस अवधारणा को पूर्व राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अपने 2014-2024 प्रशासन के दौरान पुनर्जीवित किया था।