लखनऊ। जातिगत जनगणना के फैसले पर सियासत गरमा गई है। जाति जनगणना के मुद्दे पर मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि काफी लंबे समय तक ना-ना करने के बाद अब केंद्र द्वारा राष्ट्रीय जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने को राजी हो गई है। ओबीसी […]
लखनऊ। जातिगत जनगणना के फैसले पर सियासत गरमा गई है। जाति जनगणना के मुद्दे पर मायावती ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों पर हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि काफी लंबे समय तक ना-ना करने के बाद अब केंद्र द्वारा राष्ट्रीय जनगणना के साथ जातीय जनगणना कराने को राजी हो गई है।
जाति जनगणना का बीजेपी और कांग्रेस आदि का श्रेय लेकर खुद को ओबीसी हितैषी सिद्ध करने की होड़ मची है। वहीं इनके बहुजन-विरोधी चरित्र के कारण ये समाज अभी भी पिछड़ा और वंचित है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने आगे कहा कि वैसे भी कांग्रेस और बीजेपी आदि की अगर नीयत और नीति समाज के प्रति पाक-साफ होती तो ओबीसी समाज देश के विकास में उचित भागीदार होता, जिससे इनके मसीहा परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर का ‘आत्म-सम्मान और स्वाभिमान’ का मिशन सफल होता।
लेकिन बाबा साहेब एवं बीएसपी के अनवरत संघर्ष के कारण ओबीसी समाज आज जब काफी हद तक जागरुक है, तो दलितों की तरह ओबीसी वोटों की लालची इन पार्टियों में इनका हितैषी दिखने का स्वार्थ और मजबूरी है, अर्थात् स्पष्ट है कि ओबीसी का हित बीएसपी में ही निहित है। दरअसल, जातिगत जनगणना की लंबे समय से मांग की जा रही थी, इसको लेकर बीते दिनों केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया और कहा कि साल 2025 में होने वाली जनगणना में जाति जनगणना को भी शामिल किया जाएगा।
बुधवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राजनीतिक मामलों पर कैबिनेट कमेटी की बैठक में लिए गए सरकार के इस फैसले की जानकारी दी। जानकारी देते हुए बताया कि जातियों की गिनती जनगणना के साथ की जाएगी। वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र का विषय है और अब तक कुछ राज्यों में किए गए जातिगत सर्वे स्पष्ट और पारदर्शी नहीं थे। इस फैसले के तुरंत बाद मायावती ने कहा था कि देश में मूल जनगणना के साथ ही ‘जातीय जनगणना’ कराने का फैसला काफी देर से लिया गया सही दिशा में एक कदम है। इसका स्वागत है। बीएसपी इसकी मांग काफी लंबे समय से करती आ रही है। संभावना है कि सरकार ‘जनगणना से जनकल्याण’ के इस फैसले को समय से ज़रूर पूरा कराएगी।