लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रागिनी गायन का बड़ा महत्व है। दुख हो या सुख सभी समय में रागिनी गाई जाती है। यमुना, नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के हजारों किसान दिल्ली कूच के लिए दिल्ली बॉर्डर पर धरना दिए हुए हैं। वहां बैठे सभी किसान अपनी रात रागिनी गायन गीत गाकर काट रहे हैं। […]
लखनऊ: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रागिनी गायन का बड़ा महत्व है। दुख हो या सुख सभी समय में रागिनी गाई जाती है। यमुना, नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के हजारों किसान दिल्ली कूच के लिए दिल्ली बॉर्डर पर धरना दिए हुए हैं। वहां बैठे सभी किसान अपनी रात रागिनी गायन गीत गाकर काट रहे हैं। आखिर चलिए जानते है रागिनी गायन का क्या है महत्व।
भारत का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश है। इस राज्य का गठन 26 जनवरी 1950 को हुआ था। उत्तर प्रदेश अपनी कई प्रसिद्धि के साथ-साथ अपने लोक संगीत के लिए भी जाना जाता है और लोक गीत यहां की संस्कृति को भी दर्शाते हैं। इसलिए इस आर्टिकल में हम यहां के लोकगीत के बारे में जानेंगे।
लोकगीत एक प्रकार का पारंपरिक और ग्रामीण संगीत है। लोककथाओं की अवधारणा मूल रूप से परिवारों और अन्य छोटे सामाजिक समूहों के माध्यम से पेश की गई थी।कहा जाता है कि लोक साहित्य की तरह लोक संगीत भी भारत के विभिन्न राज्यों में आज भी देखने को मिलता है और वहां की शैली के अनुरूप देखा जाता है। हर राज्य में लोकगीतों को नाम भी दिये जाते हैं।
उत्तर प्रदेश सबसे बड़े राज्यों में से एक है और यहां का राज्य काफी मशहूर है। लोक संगीत उत्तर प्रदेश और अन्य क्षेत्रों में लोक मनोरंजन का एक हिस्सा है। इसमें लोकगीत भी शामिल हैं इसलिए उत्तर प्रदेश के लोकगीतों के बारे में यहां बताया जा रहा है:
रागिनी या ढोला उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र का एक लोक गीत है। यह उत्तर प्रदेश के रोहिलखंड क्षेत्र का एक प्रमुख लोक गीत है। उत्तर प्रदेश में ढोला के नाम पर कुछ लोकगीत भी गाए जाते हैं।
पूर्वी उत्तर प्रदेश की लोक संगीत शैलियों में बिरहा विशेष रूप से लोकप्रिय है। बिरहा उन महिलाओं की मनःस्थिति को दर्शाता है जो आजीविका की तलाश में अपने पतियों से अलग हो जाती हैं।
उत्तर प्रदेश के लोकगीतों में सोहर सर्वाधिक लोकप्रिय है। ये गीत क्षेत्रों में प्रचलित धार्मिक संस्कृति से संबंधित हैं। सोहर मुख्यतः बच्चे के जन्म के समय किया जाता है। आमतौर पर भोजपुरी क्षेत्र में लोकगीतों को लोकप्रिय बनाने का श्रेय भिखारी ठाकुर को दिया जाता है।
कजरी भी प्रमुख लोकगीतों में से एक है और सावन के महीने में महिलाओं द्वारा गाया जाता है। यह अर्ध-शास्त्रीय गायन के रूप में भी विकसित हुआ और इसकी गायन शैली बनारस से जुड़ी हुई है। कजरी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध लोकगीत भी माना जाता है।
उत्तर प्रदेश में जब भी चुनावी बिगुल बजता है तो नेता के आगमन से पहले सभी जनसभाओं में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, आपने भी कभी न कभी लोक संगीत जरूर सुना होगा. उस संगीत को रागिनी कहा जाता है। चुनाव के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत पूरे उत्तर भारत की लोक गायन शैली और उसके भूले-बिसरे गायकों की याद आती है.
देश के कई राज्यों के किसान हजारों की संख्या में अपनी मांगो को लेकर नोएडा से दिल्ली कूच करने की तैयारी में हैं। चिल्ला बॉर्डर, महामाया फ्लाईओवर समेत अन्य बॉर्डर पर किसानों का झुंड लगातार अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहा है। वहीं ठिठुरन भरी रात में भी वो अपना प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं। इस दौरान सभी किसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गाई जाने वाली लोकगीत रागिनी को गा कर रात काट रहे हैं।