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नोएडा में फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़, विदेशी लोगों को बनाया जाता था निशाना, 76 गिरफ्तार

लखनऊ: नोएडा पुलिस ने जालसाजों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. नोएडा थाना सेक्टर-63 पुलिस और सीआरटी की संयुक्त कार्रवाई में विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर धोखाधड़ी करने वाले एक गैंग का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस ने इस मामले में 76 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक […]

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  • December 14, 2024 7:57 am IST, Updated 2 months ago

लखनऊ: नोएडा पुलिस ने जालसाजों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है. नोएडा थाना सेक्टर-63 पुलिस और सीआरटी की संयुक्त कार्रवाई में विदेशी नागरिकों को निशाना बनाकर धोखाधड़ी करने वाले एक गैंग का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस ने इस मामले में 76 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनके पास से लैपटॉप, मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद किए गए हैं.

इन नामों पर की जाती थी ठगी

इस मामले को लेकर पुलिस ने बताया कि सभी आरोपी अमेजन सपोर्ट, माइक्रोसॉफ्ट टेक सपोर्ट और पे-डे लोन जैसी प्रक्रियाओं के नाम पर विदेशी नागरिकों से ठगी करते थे. इन लोगों ने स्काइप ऐप के माध्यम से व्यक्तिगत डेटा खरीदा और डिजिटल मुद्रा (यूएसडीटी) का उपयोग करके इसके लिए भुगतान किया ।

इस तरह कस्टमर को फंसाया

पुलिस ने बताया कि अमेजन पार्सल के नाम पर विदेशी ग्राहकों को वॉइस नोट भेजे जाते थे. इसमें ग्राहकों को बताया गया कि उनका अकाउंट हैक हो गया है. डर का फायदा उठाकर नया अमेज़न अकाउंट बनाने के लिए उनसे डॉलर मांगे गए. ग्राहकों के कंप्यूटर में जानबूझकर तकनीकी खामियां पैदा की गईं. स्क्रीन पर दिख रहे नंबर पर कॉल करने पर आरोपी खुद को माइक्रोसॉफ्ट का अधिकारी बताते थे और समस्या के समाधान के लिए भुगतान मांगते थे।

लोन के नाम पर 100-500 डॉलर लिए जाते थे

पुलिस ने बताया कि लोन के लिए आवेदन करने वाले ग्राहकों को फर्जी मैसेज या कॉल किये जाते थे. लोन प्रक्रिया के नाम पर उनसे 100-500 डॉलर वसूले जाते थे. भुगतान न करने पर एक फर्जी चेक भेजा जाता था, जिसे ग्राहक के बैंक खाते में जमा करा दिया जाता था। पुलिस ने बताया कि गिरोह को मुख्य आरोपी कुरुनल रे, सौरभ राजपूत, सादिक और साजिद अली चला रहे थे. पकड़े जाने से बचने के लिए वे बारी-बारी से लैपटॉप और मोबाइल का इस्तेमाल करते थे.

खासकर विदेशी नागरिकों को बनाया जाता निशाना

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये लोग ज्यादातर विदेशी नागरिकों को निशाना बनाते थे ताकि उनके खिलाफ भारत में शिकायत दर्ज न हो सके. डीसीपी शक्ति अवस्थी के मुताबिक, मुख्य आरोपी पहले भी इसी तरह के धोखाधड़ी के मामलों में शामिल रहे हैं और उन्हें गुजरात पुलिस ने जेल भेजा है। अब उसके आपराधिक इतिहास की जानकारी जुटाई जा रही है।


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