Sunday, November 10, 2024

UP News: अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा पर पुलिस की बड़ी कार्रवाई, देर रात STF की टीम ने किया गिरफ्तार

लखनऊ: माफिया अतीक अहमद के वकील विजय मिश्रा को शनिवार की रात एसटीएफ (STF) की मदद से पुलिस ने लखनऊ से गिरफ्तार किया है। पहले उसे हिरासत में लिया गया था। दरअसल विजय मिश्रा विभूति खंड स्थित एक नामी होटल में ठहरा था। उसके खिलाफ दो महीने पहले तीन करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने का मुकदमा प्रयागराज के अतरसुइया थाने में एक फर्नीचर व्यवसायी ने दर्ज कराया था। बताया जा रहा है कि उसे इसी सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।

होटल से किया गया गिरफ्तार

शनिवार को विजय मिश्रा किसी काम से लखनऊ आया था। रात करीब 11 बजे लखनऊ एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस की टीम ने उसे हिरासत में ले लिया। एसटीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रयागराज पुलिस की ओर से विजय की गिरफ्तारी को लेकर हमारी टीम से मदद मांगी गई थी। उसकी लोकेशन लखनऊ में होने की सूचना भी दी गई थी। इसके बाद ही उसे हिरासत में लेकर प्रयागराज पुलिस को सौंप दिया गया। उधर विजय मिश्रा के जूनियर अधिवक्ता हिमांशु कुमार ने बताया कि कुछ लोग इनोवा कार से आए थे। उन्होंने खुद को पुलिसकर्मी बताया और फिर विजय को अपने साथ लेकर चले गए।

3 करोड़ के रंगदारी का मामला

पुलिस के मुताबिक विजय मिश्रा पर तीन करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप में 23 मई को अतरसुइया थाने में लकड़ी व्यवसायी सईद अहमद ने एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप है कि उधारी के सवा लाख रुपये मांगने पर विजय ने उसे धमकी देते हुए रंगदारी मांगी थी। विजय पर विभिन्न जिलों में कुल सात मुकदमे दर्ज हैं।

उमेश पाल का लोकेशन देने का आरोप

अतीक के दूसरे वकील खान शौलत हनीफ ने पुलिस कस्टडी के दौरान आरोप लगाया था कि उमेश पाल के कचहरी से निकलने के दौरान विजय मिश्रा ने अपने फोन से इंटरनेट कॉल के जरिये अशरफ और असद को सूचना दी थी। बताते हैं कि इसके बाद ही 24 फरवरी को अतीक-अशरफ के गुर्गो ने उसका पीछा किया और घर के बाहर उमेश पाल और उसके दो गनर को गोलियों से भून डाला था।

अतीक से रहा बेहद करीबी नाता

विजय मिश्रा अतीक के भाई अशरफ के मुकदमे देखते था। कुछ मामलों में वह अतीक के भी कानूनी सलाहकार रहे, मुकदमे लड़े। विजय मिश्रा को अतीक का बेहद करीबी माना जाता रहा है। चर्चा यह तक थी कि उमेश पाल हत्याकांड के बाद साबरमती जेल में बंद अतीक का जो ऑडियो वायरल हुआ था, उसमें बात विजय मिश्रा से ही हो रही थी। इसमें दावा किया गया था कि उमेश पाल हत्याकांड अभी नहीं कराना चाहिए था, क्योंकि उस वक्त विधानसभा का सत्र चल रहा था।

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