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UP Monsoon Session 2024 : यूपी विधानसभा में लव जिहाद बिल पास, उम्र कैद का प्रावधान

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र की कार्यवाही जारी है। इस बीच आज सदन में अनुपूरक बजट पेश होने के साथ -साथ लव जिहाद बिल पास हुआ है। प्रदेश में लव जिहाद मामले में उम्र कैद की सजा का प्रावधान है। सत्र में दूसरे दिन हुआ बिल पास आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश […]

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  • July 30, 2024 11:02 am Asia/KolkataIST, Updated 9 months ago

लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र की कार्यवाही जारी है। इस बीच आज सदन में अनुपूरक बजट पेश होने के साथ -साथ लव जिहाद बिल पास हुआ है। प्रदेश में लव जिहाद मामले में उम्र कैद की सजा का प्रावधान है।

सत्र में दूसरे दिन हुआ बिल पास

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन आज मंगलवार को उत्तर प्रदेश में धर्म संपरिवर्तन विरोधी (संशोधन) अधिनियम, 2024 पारित हो गया। यूपी विधानसभा में आज ‘लव जिहाद’ विधेयक पारित हो गया है।

मामले में दी जाएगी सख्त सजा

उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन आज 30 जुलाई को यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 पारित हो गया। यूपी विधानसभा में ‘लव जिहाद’ विधेयक पारित हुआ। संसोधित अधिनियम में धोखाधड़ी या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के मामलों में कानून को पहले से अधिक कठोर बनाया गया है, जिसमें शामिल व्यक्ति के लिए 5 लाख रुपये तक की सजा का प्रावधान किया गया है। छल-कपट से फंसाकर और अवैध तरीके से विवाह करने पर भी इसमें प्रावधान है। इस मामले के तहत अब आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है। पहले इसमें 10 साल की सजा का प्रावधान था।

20 साल की सजा

ऐसे मामलों में संसदीय कार्य मंत्री सुरेश ख्नन्ना ने संसद के पहले दिन सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम, 2024 पेश किया। इसमें प्रस्ताव किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी महिला, नाबालिग या किसी अन्य व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने की मंशा रखता है, धमकी देता है, मारपीट करता है, साजिश रचता है या शादी का वादा करता है या इसके लिए साजिश रचता है तो इसे सबसे गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा जाएगा। ऐसे मामलों में 20 साल की सजा या कारावास का प्रावधान किया गया है।

इसकी जानकारी पुलिस को लिखित तौर पर दे सकता है

जब यह विधेयक के रूप में पहली बार पारित होने के बाद कानून बना तब इसके तहत अधिकतम 10 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया। संशोधित की गई प्रावधान के तहत यह व्यवस्था की गई है कि अब कोई कभी इस मामले से पीड़ित व्यक्ति FIR दर्ज करा सकता है। पहले मामले में रिपोर्ट या याचिका दाखिल करने के लिए पीड़ित, उसके माता-पिता, भाई-बहन की मौजूदगी जरूरी थी, लेकिन अब इस मामलेके तहत आने वाले कानून में संशोधन किया गया है। जिसके तहत अब कोई भी व्यक्ति लिखित में पुलिस को इस बारे में जानकारी दे सकता है।


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