लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने रामचरित मानस विवाद को लेकर सपा पर निशाना साधा है। सपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ रामचरित मानस और मनुस्मृति नहीं बल्कि संविधान है। जिसमें बाबा साहेब आंबेडकर ने उन्हें शूद्र नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी कहा है। इसलिए […]
लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने रामचरित मानस विवाद को लेकर सपा पर निशाना साधा है। सपा पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ रामचरित मानस और मनुस्मृति नहीं बल्कि संविधान है। जिसमें बाबा साहेब आंबेडकर ने उन्हें शूद्र नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी कहा है। इसलिए सपाई उपेक्षित वर्गों को शूद्र कहकर उनका अपमान नहीं करें। उन्हें शूद्र कहकर सपा संविधान की अवहेलना कर रही हैं।
इस दौरान बसपा सुप्रीमो ने 1995 की घटना को याद करते हुए कहा कि सपा प्रमुख आज कमजोरों की वकालत करने आते हैं। 2 जून 1995 की घटना को याद करके अपने गिरेबान में झांके कि कैसे लखनऊ के गेस्ट हाउस में उन्होंने एक दलित की बेटी पर जानलेवा हमला कराया था। मायावती ने आगे कहा कि वैसे भी जगजाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान की कद्र बीएसपी में ही थी।
बसपा प्रमुख ने इस दौरान बीजेपी व कांग्रेस को भी लपेटे में लेते हुए कहा कि देश के अन्य राज्यों की तरह यूपी में भी दलितों, आदिवासियों में ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइंसाफी तथा इन वर्गों में जन्में महान संतों, गुरुओं एवं महापुरुषों आदि की उपेक्षा-तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, बीजेपी एवं समाजवादी पार्टी कोई भी कम नहीं है।