Sunday, November 10, 2024

यूपी: अग्निकांड से पहले डीएम के समक्ष गुहार लगाने पहुंचा था परिवार, उल्टा मां-बेटी पर ही हुई एफआईआर

लखनऊ। कानपुर देहात के मड़ौली में हुए अग्निकांड मामले में पीड़ित के परिवार वालों ने पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। पीड़ित परिवार का कहना है कि गांव के कुछ लोगों ने डीएम से शिकायत की थी, जिसके बाद उनका पक्का मकान गिरा दिया गया था। बेघर होने के बाद वो अपने परिवार एवं जानवरों के साथ डीएम नेहा जैन के बंगले पर न्याय मांगने गए लेकिन वहां पर एडिशनल एसपी हमें मारने के लिए दौड़े। वो ये सब डीएम के इशारों पर कर रहे थे।

पीड़ित परिवार ने दर्ज कराई एफआईआर

इस घटना के बाद पीड़ित परिवार ने रूरा थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई है। जिसमें बताया गया है कि फरियादी के दादा और घर के वर्तमान मुखिया कृष्ण गोपाल दीक्षित के पिता ने करीब 100 साल पहले एक बगीचा विकसित किया था। उसी जगह पर इन लोगों ने 20 साल पहले पक्का घर बनवाया था। 14 जनवरी को मैथा तहसील के एसडीएम,तहसीलदार, कानूनगो एवं लेखपाल स्थानीय रूरा थाने के प्रभारी दिनेश कुमार गौतम के साथ अचानक घर पर पहुंच गए। उनके साथ 15 सिपाही और एक बुलडोजर भी था। इसके बाद बिना किसी पूर्व सूचना के पुलिस प्रशासन ने मकान को गिरा दिया था।

डीएम और एसडीएम ने धमका कर भगाया

इस कार्रवाई के बाद पीड़ित परिवार ने गाड़ी किराए पर लेकर उसमें जानवरों को भर लिया और डीएम के कार्यालय जा पहुंचे। लेकिन वहां डीएम और एसडीएम ने उनकी गुहार नहीं सुनी, उल्टा इनके विरुद्ध ही अकबरपुर थाने में केस दर्ज करवा दी। इन्हें जेल भेजने की धमकी देकर गांव भगा दिया।

एसडीएम ने कहा झोपड़ी में लगा दो आग

पीड़ित परिवार ने एफआईआर में यह भी कहा है कि लेखपाल अशोक सिंह ने झोपड़ी में आग लगाई और एसडीएम ने कहा कि आग लगा दो, देखना कोई बचे नहीं। लेकिन परिवार के मुखिया कृष्ण गोपाल दीक्षित और बेटा शिवम जैसे-तैसे बाहर निकलने में कामयाब रहे लेकिन प्रमिला और नेहा आग में जलकर राख हो गई। इतना ही नहीं पीड़ित परिवार ने यह भी आरोप लगाया है कि रूरा थानाध्यक्ष दिनेश गौतम एवं 15 अन्य पुलिसकर्मियों ने बाहर निकले पिता एवं बेटे को फिर से आग में फेंकने की कोशिश की। बता दें कि इस घटना में 22 बकरियों की भी मौत हो गई है।

Latest news
Related news