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Shri Krishna Janmbhoomi: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में पोषणीयता को लेकर आज खत्म हो सकती हैं सभी पक्षों की दलीलें

लखनऊ। आज एक बार फिर मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhoomi) और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं की पोषणीयता पर सुनवाई की जाएगी। बता दें कि आज की ये सुनवाई जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में ही होगी। ऐसे में ये उम्मीद जताई जा रही है […]

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Shri Krishna Janmbhoomi
  • May 15, 2024 11:20 am Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

लखनऊ। आज एक बार फिर मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि (Shri Krishna Janmbhoomi) और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिकाओं की पोषणीयता पर सुनवाई की जाएगी। बता दें कि आज की ये सुनवाई जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच में ही होगी। ऐसे में ये उम्मीद जताई जा रही है कि पोषणीयता के बिंदु पर चल रही सुनवाई आज पूरी हो सकती है। इसके बाद कोर्ट अपना जजमेंट रिजर्व कर सकती है।

हिंदू पक्ष पेश करेगा दलीलें

जानकारी के अनुसार, इस मामले में आज सबसे पहले हिंदू पक्ष बची हुई दलीलें पेश करेगा। वहीं हिंदू पक्ष की तरफ से अदालत में सिविल वाद को बताया जाएगा। साथ ही ये दलील दी जा रही है कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद का अवैध कब्जा चला आ रहा है। इस जमीन पर मस्जिद पक्ष का कोई विधिक अधिकार नहीं है और 1669 से लगातार यहां चली आ रही नमाज, हिन्दू श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट है।

दरअसल, हिंदू पक्ष की ये दलील है कि मंदिर तोड़कर उसी जगह पर शाही ईदगाह मस्जिद बनाईं गई थी। वक्फ बोर्ड ने बिना स्वामित्व के इसे वक्फ संपत्ति घोषित किया है। इसे लेकर अपनाई गई प्रक्रिया का कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया है। वहीं एएसआई ने इसे नजूल भूमि कहा है, इसलिए इसे वक्फ संपत्ति घोषित नहीं कर सकते। संपत्ति पर विरोधी पक्ष को कोई हक नहीं है।

हिंदू पक्ष कर रहा दावा

इसके अलावा हिंदू पक्ष का ये दावा है कि विवादित स्थल ऐतिहासिक धरोहर घोषित है, राष्ट्रीय महत्व की है, ऐसे में वाद भी राष्ट्रीय महत्व का होगा। संरक्षित क्षेत्र में किसी को केंद्र सरकार की अनुमति के बिना किसी तरह का निर्माण करने का अधिकार नहीं है। दो पक्षों में इससे पहले हुए समझौते का संपत्ति अधिकार से कोई सरोकार नहीं है। हिंदू पक्ष का कहना है कि समझौता संपत्ति के स्वामी के साथ नहीं किया गया है, इसलिए समझौते का कोई मतलब नहीं है। योगिनी माता मंदिर स्थल पर शाही ईदगाह मस्जिद बनाया गया है।

इसके साथ ही कोर्ट में हिन्दू पक्ष ने कहा कि ये भवन वास्तव में मस्जिद नहीं है। 15 वीं सदी में मस्जिद का ऐसा स्ट्रक्चर नहीं होता था। ऐसे में हिंदू मंदिर (Shri Krishna Janmbhoomi) पर कब्जा कर के मस्जिद का रूप दिया गया है। बताया गया कि बज्रनाभ भगवान कृष्ण के प्रपौत्र ने इन मंदिर को बनवाया था। उन्होंने चार बीघा जमीन में केशव देव‌ मंदिर बनावाया था। पहले यहां परिक्रमा होती थी। लेकिन मंदिर ध्वस्त किया गया। विष्णु पुराण कहता है कृष्ण के जाने के बाद कलियुग की शुरूआत हुई।

अयोध्या विवाद के तर्ज पर हो रही सुनवाई

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट अयोध्या विवाद की तर्ज पर मथुरा मामले में सीधे तौर पर सुनवाई कर रहा है। इस दौरान हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल की गई 18 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की जा रही है। मुस्लिम पक्ष ने इन याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए इन्हें खारिज किए जाने की अपील की। फिलहाल, अदालत में मुकदमों की पोषणीयता पर बहस जारी है। मुस्लिम पक्ष ने ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत याचिकाओं की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए इन्हें खारिज किए करने की मांग की है।


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