Wednesday, December 4, 2024

SC: सरकारी बाबुओं की पत्नी को अध्यक्ष बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से पूछा सवाल

लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यूपी सरकार को टॉप नौकरशाहों की पत्नियों को समिति के अध्यक्ष पदों पर नियुक्ति को लेकर बेहद अहम निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस मामले को लेकर आपत्ति जताई है। आपत्ति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी के जिला मजिस्ट्रेट, सचिवों, जिलाधिकारियों और कई अन्य नौकरशाहों की पत्नियां सहकारी समितियों के अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं।

उपनियमों के तहत ऐसा करना जरूरी

सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम के उपनियमों के तहत ऐसा करना जरूरी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को नियमों में संशोधन करने का निर्देश जारी किया। निर्देश देते हुए कहा कि औपनिवेशक मानसिकता को दर्शाने वाली प्रथा को समाप्त करना चाहिए। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुईयां की बेंच इस मामले पर सुनवाई कर रही थी। यह मामला बुलंदशहर की 1957 से कार्यरत जिला महिला समिति के विवाद से जुड़ा है, जिसमें समिति को सरकार की ओर से पट्टे पर दी गई।

हार्टकोर्ट ने सुनवाई से मना किया

जमीन के लिए बुलंदशहर के कार्यवाहक डीएम की पत्नी को अध्यक्ष बनाया जाना जरूरी था क्योंकि सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के उपनियमों में ऐसा प्रावधान है। समिति ने नियमों में संशोधन किया, जिसे पहले उप-रजिस्टरार ने रद्द कर दिया और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी समिति की याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया। अब समिति ने आखिर में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

इन नियमों पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट ने इन नियमों को लेकर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को भी बुलंदशहर के जिलाधिकारी की पत्नी को जिले में रजिस्ट्रर सोसाइटी की अध्यक्ष के रूप में काम करने के लिए अनिवार्य करने वाले अजीबो गरीब नियम को स्वीकृति देने पर राज्य सरकार की खिंचाई की। इसे राज्य की सभी महिलाओं के लिए अपमानजनक करार दिया। कोर्ट ने कहा था, ‘चाहे वह रेड क्रॉस सोसाइटी हो या बाल कल्याण समिति, हर जगह जिलाधिकारी की पत्नी को ही अध्यक्ष बनाया जाता हैं। ऐसा क्यों होना चाहिए?’

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