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आशु हत्याकांड के कई आरोपी बरी, 60 से अधिक लोगों की गई थी जान

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े आशू हत्याकांड की सुनवाई कर रही एक स्थानीय अदालत ने सबूतों के अभाव में 10 आरोपियों को बरी कर दिया है। इन आरोपियों को किया बरी कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी किया है उनमें गौरव, अमरपाल, रॉकी, रतन, दिनेश, योगेश, अभिषेक, […]

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  • September 30, 2024 8:03 am Asia/KolkataIST, Updated 7 months ago

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े आशू हत्याकांड की सुनवाई कर रही एक स्थानीय अदालत ने सबूतों के अभाव में 10 आरोपियों को बरी कर दिया है।

इन आरोपियों को किया बरी

कोर्ट ने जिन आरोपियों को बरी किया है उनमें गौरव, अमरपाल, रॉकी, रतन, दिनेश, योगेश, अभिषेक, रूबी, कपिल कुमार और मनोज कुमार शामिल हैं। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अंजनी कुमार सिंह ने सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया और कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोप साबित करने में विफल रहा है।

26 सितंबर को आदेश किया गया था पारित

यह आदेश पिछले 26 सितंबर को पारित किया गया था और दो दिन बाद उपलब्ध कराया गया था. मामले की वादी इमराना ने आरोप लगाया था कि 8 सितंबर 2013 को दंगाइयों ने उसके पति आशू की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। घटना के समय वह स्कूटर से गांव फुगाना स्थित बस स्टैंड पर जा रहा था।

11 लोगों के खिलाफ हुआ था आरोप पत्र दायर

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, विशेष जांच दल (एसआईटी) ने 11 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था और मामले की सुनवाई के दौरान सचिन नाम के आरोपी की मौत हो गई थी. अधिवक्ता शिवराज सिंह मलिक ने बताया कि सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता इमराना और आशु की मां वकीला समेत दो गवाह अपने बयानों से पलट गए और अभियोजन पक्ष के दावों का समर्थन नहीं किया.

साल 2013 का पूरा मामला

बता दें कि सितंबर 2013 में, मुज़फ़्फ़रनगर और शामली जिलों में सांप्रदायिक दंगों में 60 से अधिक लोग मारे गए और 40,000 से अधिक लोग बेघर हो गए। आपको बता दें कि 27 अगस्त 2013 वह दिन था जब मुजफ्फरनगर दंगों की आग में झुलस गया था. दंगाइयों की हरकत से लोग कई दिनों तक डर के साये में जीने को मजबूर थे. हजारों लोगों को डर के मारे अपना घर छोड़ना पड़ा.


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