यूपी की सबसे हॉट सीटों में शुमार मैनपुरी लोकसभा सीट पर इस बार रोमांचक मुकाबला देखने को मिला है. इस सीट पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव मैदान में हैं. वहीं योगी सरकार में मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर उन्हें टक्कर देने की कोशिश कर रहे हैं. तीसरे चरण में 7 मई को यहां वोटिंग हो चुकी है. कुल 58.59 फीसदी वोट पड़े हैं। बता दें कि साल 2019 में इस सीट पर 57.37 फीसदी वोट पड़े थे। उस समय सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव 5 लाख 24 हजार वोट पाकर 94 हजार 389 वोटों से विजयी हुए थे। उन्होंने बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य को शिकस्त दी थी. शाक्य को महज 4 लाख 30 हजार वोट मिले थे.वहीं इस बार के चुनाव परिणाम में (2024) मैनपुरी से डिंपल यादव चुनाव जीत चुकी है…वह डिंपल यादव 1 लाख 89 हजार मतों से जीतीं, बीजेपी प्रत्याशी मंत्री जयवीर सिंह चुनाव हारे…
डिंपल यादव को मिली जीत
बता दें कि इस यूपी के 80 लोकसभा सीटों में से सपा 35 सीटों पर आगे चल रही है। बीजेपी 34 और कांग्रेस 7 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, आरएलडी दो, आजाद समाज पार्टी और अपनादल (एस) एक-एक सीटों पर आगे चल रही है।देशभर में भारतीय जनता पार्टी 237 सीटों पर आगे चल रही है। जबकि तीन कैंडिडेट जीत चुके हैं। वहीं, कांग्रेस 98 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि एक उम्मीदवार जीत चुका है। वहीं समाजवादी पार्टी 34 सीटों पर आगे चल रही है। जबकि मैनपुरी लोकसभी सीट से डिंपल यादव करीबी एक लाख 89 हजार मतों से चुनाव जीत चुकी है।
2022 उपचुनाव में जीती थीं डिंपल यादव
हालांकि मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद इस सीट पर साल 2022 में उपचुनाव कराया गया. इसमें समाजवादी पार्टी के टिकट पर अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव 6 लाख 18 हजार वोट पाकर करीब 2 लाख 88 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीत गई थीं. उन्होंने बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य को हराया था.इस चुनाव में रघुराज सिंह शाक्य को कुल 3 लाख 29 हजार वोट मिले थे. इस लोकसभा सीट पर साल 2014 में भी सपा की विजय हुई थी. उस समय 6 लाख 53 हजार वोट पाकर सपा के तेज प्रताप सिंह यादव विजयी हुए थे. उन्होंने 3 लाख 21 हजार वोटों के अंतर से बीजेपी के उम्मीदवार प्रेम सिंह शाक्य को शिकस्त दी थी. इस चुनाव में प्रेम सिंह शाक्य को कुल 3 लाख 32 हजार वोट मिले थे.
मैनपुरी 1996 से मुलायम सिंह यादव का गढ़
मैनपुरी लोकसभा सीट पर कभी कांग्रेस ने प्रभुत्व स्थापित करने की कोशिश की थी. 5 बार कांग्रेस के उम्मीदवार यहां से जीते भी, लेकिन मुलायम सिंह यादव के प्रभाव के चलते यह सीट पूरी तरह से सपा का गढ़ बन गई है. 1996 में यहां से मुलायम सिंह यादव पहली बार चुनाव जीते थे. उसके बाद से यह सीट लगातार वह खुद या उनके परिवार के खाते में जाती रही.
मैनपुरी लोकसभा सीट का इतिहास
इस लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ था. उस समय यहां से कांग्रेस के उम्मीदवार बादशाह गुप्ता सांसद बने थे. 57 के चुनाव में यह सीट प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बंशी दास धनगर ने जीती. 62 में कांग्रेस के बादशाह गुप्ता फिर जीते, लेकिन 67 और 71 के चुनाव में कांग्रेस ने महाराज सिंह को यहां से चुनाव लड़या और वह जीते भी.
77 और 80 के चुनाव में इस सीट पर जनता पार्टी के रघुनाथ सिंह वर्मा जीते. 84 में यह सीट एक बार फिर से कांग्रेस के पास चली गई, लेकिन 89 में जनता दल के टिकट पर और 91 के चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर उदयप्रताप सिंह यहां से जीत कर संसद पहुंचे.साल 1996 में मुलायम सिंह यादव, 98 और 99 में सपा के ही बलराम सिंह यादव और 2004 में फिर मुलायम सिंह यादव यहां से जीते. हालांकि उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया तो उपचुनाव कराना पड़ा. उस समय सपा के टिकट पर उनके भतीजे धर्मेंद्र यादव यहां से सांसद चुने गए थे.2009 और 2014 में फिर से मुलायम सिंह यादव यहां से चुने गए और 2014 में उन्होंने यह सीट छोड़ दी तो उपचुनाव में तेज प्रताप सिंह यादव सांसद चुने गए. मुलायम सिंह यादव 2019 में भी यहां से जीते और उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में डिंपल यादव जीत कर सांसद बनीं. मजे की बात यह कि इस सीट पर आज तक बीजेपी और बीएसपी का खाता तक नहीं खुला है.
मुख्य मुकाबले से बाहर हैं अन्य प्रत्याशी
वैसे तो मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा और भाजपा के अलावा बसपा प्रत्याशी शिवप्रसाद यादव समेत कुल 6 प्रत्याशी मैदान में हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा में ही है। बसपा भी इस मुख्य मुकाबले से बाहर है।