Friday, November 22, 2024

Divine Tools : सोने की इस छेनी और हथौड़ी से तराशीं रामलला की दिव्य आंखें, योगीराज ने साझा की तस्वीर

Divine Tools : सोने की इस छेनी और हथौड़ी से तराशीं रामलला की दिव्य आंखें, योगीराज ने साझा की तस्वीर

लखनऊ। रामलला की मूर्ति बनाने वाले कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने आंखें तराशने के लिए चांदी की हथौड़ी और सोने की छेनी का इस्तेमाल किया था। अरुण ने रविवार को सोशल मीडिया पर इसकी फोटो शेयर करते हुए लिखा कि इसी से रामलला की दिव्य आंखें बनाईं।

आचार्य सुमधुर शास्त्री ने बताया

पत्थर की मूर्ति से देवमूर्ति बनने के सफर के साक्षी रहे हैं संघ से जुड़े संस्कृत और संगीत के आचार्य सुमधुर शास्त्री। सुमधुर ने मीडिया से चर्चा करते हुए मूर्ति निर्माण के दौरान हुईं चमत्कारिक घटनाओं की जानकारी दी। उनका दावा है कि रामलला की मूर्ति निर्माण के दौरान वानर स्वरूप में हनुमान जी उन्हें देखने आते थे। स्वर्ण की छेनी व चांदी की हथौड़ी से रामलला की आंखें गढ़ी गई हैं। सुमधुर शास्त्री बताते हैं कि प्रभु रामलला को शिलारूप में प्रकट होते देखा है। मूर्ति निर्माण के दौरान हनुमानजी के रूप में वानर राज आते और दर्शन करके चले जाते। यह वाकया रोजाना शाम को 5:30 से 6:00 बजे के बीच होता। जब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई और 23 जनवरी को राम भक्तों के लिए मंदिर खोला गया, उस दिन भी रामलला के दर्शन के लिए वानर रूप में हनुमानजी गर्भगृह में आए हुए थे। वह लगभग 5 मिनट तक रामलला की प्रतिमा को देखते रहे। थोड़ी देर बाद ही वह चुपचाप रामभक्तों के बीच में से चले गए।

बालस्वरुप बनाने में लगे 6 महीने

उन्होंने बताया कि मूर्तिकार अरुण योगीराज को बालस्वरूप रामलला की मूर्ति बनाने में सात महीने का वक्त लगा है। अचल मूर्ति के निर्माण के लिए ट्रस्ट ने तीन मूर्तिकारों का चयन किया था। सबसे अंत में मूर्ति का निर्माण अरुण योगीराज ने ही शुरू किया था। सभी मूर्तिकारों को ट्रस्ट के निर्देश थे कि रामलला की छवि बाल स्वरूप की हो। नख से लेकर शिख तक 51 इंच की लंबाई हो। बाल सुलभ छवि और मुस्कान उभर कर आए।

रामलला के नेत्र 20 मिनट में गढ़े गए

सुमधुर ने बताया कि मूर्ति के नेत्र विशेष मुहूर्त में तैयार किए जाते हैं। कर्मकुटी की विधान पूजा के बाद नेत्र को बनाने के लिए चांदी की हथौड़ी और सोने की छेनी का इस्तेमाल किया गया। नेत्र बनाने में मात्र 20 मिनट का वक्त लगा। भगवान राम के नेत्र अलौकिक हैं। कहीं से भी प्रभु श्री राम के दर्शन करेंगे तो ऐसा अहसास होगा कि रामलला आपको ही देख रहे हैं। बता दें, प्राण प्रतिष्ठा के दौरान रामलला की मूर्ति को देख कर लोगों की आखें नम हो गई थी।

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