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यूपी अब होगा प्रदूषण फ्री, 6 साल में सबसे कम रहा पॉल्यूशन लेवल

लखनऊ। भारतीय शहरों में 2019 से 2024 तक प्रदूषण के स्तर में कमी आई है। प्रदूषण के स्तर में औसतन 27 फीसदी की कमी आई है, जिनमें से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत आने वाले शहरों में वायु प्रदूषण में 24 फीसदी की गिरावट दर्ज की है। एक नयी रिपोर्ट से जानकारी मिली […]

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pollution level is lowest
  • January 8, 2025 8:43 am Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

लखनऊ। भारतीय शहरों में 2019 से 2024 तक प्रदूषण के स्तर में कमी आई है। प्रदूषण के स्तर में औसतन 27 फीसदी की कमी आई है, जिनमें से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत आने वाले शहरों में वायु प्रदूषण में 24 फीसदी की गिरावट दर्ज की है। एक नयी रिपोर्ट से जानकारी मिली है कि जलवायु प्रौद्योगिकी कंपनी ‘रेस्पिरर लिविंग साइंसेज’ की रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी और मुरादाबाद में पीएम 2.5 का स्तर क्रमशः 76 फीसदी और 58 फीसदी कम हुआ है।

इन शहरों के प्रदूषण में आई कमी

इनके अतिरिक्त मेरठ (57.1 प्रतिशत), कलबुर्गी (57.2 प्रतिशत), आगरा (54.1 प्रतिशत), कटनी (56.3 प्रतिशत), कानपुर (51.2 प्रतिशत), बागपत (53.3 प्रतिशत) और जोधपुर (50.5 प्रतिशत) में भी प्रदूषण में कमी पाई गई। रिपोर्ट की माने तो ‘‘जिन शहरों पर नजर रखी गई, उन सभी में 2019 से पीएम 2.5 के स्तर में 27 प्रतिशत की कमी के साथ वायु गुणवत्ता में काफी सुधार हुआ है। एनसीएपी (राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम) शहरों में 24 फीसदी की कमी आई है, जो वायु प्रदूषण से निपटने में प्रगति को दिखाता है। ’’

इन शहरों में ज्यादा प्रदूषण

इन सुधारों के बाद भी कई शहर अत्यधिक प्रदूषण वाले हैं। दिल्ली में 2024 में पीएम 2.5 का स्तर 107 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर पाया गया था, वहीं असम के बर्नीहाट में यह 127.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। अत्यधिक प्रदूषित शहरों में फरीदाबाद (87.1 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर), गुरुग्राम (96.7 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर), ग्रेटर नोएडा (83.9 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) और श्री गंगानगर (85.5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) शामिल हैं।

भारत की वायु की कहानी

सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दुर्गापुर (82.0 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), मुजफ्फरनगर (83.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर), गाजियाबाद (79.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) और आसनसोल (80.3 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर) भी शामिल हैं। ‘रेस्पिरर लिविंग साइंसेज’ के संस्थापक रौनक सुतारिया का कहना है कि ‘‘भारत की वायु गुणवत्ता आशा और सावधानी दोनों की कहानी कहता है। ’’


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