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UP: सरकारी बंगलों को पार्टी दफ्तरों में मिलाने के खिलाफ पीआईएल खारिज, कोर्ट ने कही ये बात

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राजनीतिक दलों द्वारा सरकारी बंगलों को पार्टी दफ्तरों में मिलाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार खुद अपनी संपत्तियों की देखभाल करने के लिए काफी अलर्ट है। कोर्ट ने किया खारिज ऐसे में कोर्ट को इस मामले को […]

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  • May 10, 2024 5:28 am Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने राजनीतिक दलों द्वारा सरकारी बंगलों को पार्टी दफ्तरों में मिलाने के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार खुद अपनी संपत्तियों की देखभाल करने के लिए काफी अलर्ट है।

कोर्ट ने किया खारिज

ऐसे में कोर्ट को इस मामले को आगे चलाने और अपनी असाधारण अधिकारिता का अमल करने का कोई कारण नहीं है। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव- प्रथम की खंडपीठ ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने यह आदेश वकील मोतीलाल यादव की 2018 में दाखिल पीआईएल पर दिया। इसमें याची ने बसपा, बीजेपी और समाजवादी पार्टी को लखनऊ में आवंटित बड़े सरकारी बंगलों में पास के अन्य बंगलों को पार्टी दफ्तरों में मिलाने की वैधता को चुनौती दी गई थी।

याची ने इन बंगलों को इन दलों के दफ्तरों में विलय को मंजूर करने संबंधी वर्ष 2001 से 2008 के बीच के सरकारी आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया था। याचिका में राज्य सरकार को मुख्य सचिव, राज्य संपत्ति विभाग के प्रमुख सचिव, राज्य संपत्ति अधिकारी और बसपा, बीजेपी व सपा को इनके राष्ट्रीय अध्यक्षों के जरिये पक्षकार बनाया गया था।


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