लखनऊ: यूपी में फिर एक बार लोगों को भीषण बिजली संकट से जूझना पड़ सकता है। बिजली विभाग के कर्मचारियों ने राज्य की योगी सरकार के बिजली वितरण निजीकरण के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके लिए कर्मचारियों का लगातार विरोध प्रदर्शन चालू है। योगी सरकार के इस फैसले पर पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन […]
लखनऊ: यूपी में फिर एक बार लोगों को भीषण बिजली संकट से जूझना पड़ सकता है। बिजली विभाग के कर्मचारियों ने राज्य की योगी सरकार के बिजली वितरण निजीकरण के फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके लिए कर्मचारियों का लगातार विरोध प्रदर्शन चालू है। योगी सरकार के इस फैसले पर पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन के लोग 1 दिसंबर से आंदोलन करेंगे।
बता दें कि योगी सरकार के निजीकरण के फैसले के खिलाफ बिजली कर्मचारी संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने एक दिसंबर को जन पंचायत की घोषणा की है, जिसमें निजीकरण के खिलाफ व्यापक जनजागरण अभियान चलाने की योजना है.
वहीं कर्मचारी संगठन सरकार के फैसले को जनहित में नहीं मान रहे हैं और आम उपभोक्ताओं को चेतावनी दे रहे हैं कि इससे परेशानी होगी. अगर निजीकरण के खिलाफ संघर्ष मार्च 2023 और दिसंबर 2022 में हुई हड़तालों की तरह तेज हुआ तो स्थिति और खराब हो सकती है.
योगी सरकार ने हालात संभालने के लिए सभी जिलों के डीएम, कमिश्नर और पुलिस कप्तानों को अलर्ट कर दिया है. बिजली कर्मियों की हड़ताल से होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए सरकार पहले ही अधिकारियों को एहतियाती कदम उठाने का निर्देश दे चुकी है. राज्य सरकार ने यह भी निर्देश दिया है कि अस्पतालों, जलापूर्ति प्रणालियों और सरकारी कार्यालयों जैसे संवेदनशील स्थानों पर वैकल्पिक ऊर्जा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
बता दें कि निजीकरण का मामला अब नियामक आयोग पहुंच चुका है।निजीकरण मामले को लेकर उपभोक्ता परिषद ने पावर कारपोरेशन के प्रबंधन के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की हैं. अवमानना में उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने कई बातों का ज़िक्र किया है। साथ ही कहा है कि, अरबो रुपए खर्च कर कंपनी की हालत सुधारने के बाद उसको बेचना कहां तक सही है, आयोग इस पर विचार करें.