Wednesday, October 2, 2024

जानिए क्या है रामपुर का कारतूस कांड? 13 साल बाद पुराने मामले की चर्चा तेज

लखनऊ। यूपी का चर्चित कारतूस कांड एक बार फिर से चर्चा में है। दरअसल 13 साल बाद इस मामले में फैसला आया है। सुनवाई और 9 गवाहों की गवाही के बाद इस कांड के 24 दोषियों को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही सभी आरोपियों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। इससे पहले गुरुवार को सभी 24 आरोपियों को अदालत ने दोषी करार दिया।

जानिए क्या है कारतूस कांड

मालूम हो कि छह अप्रैल, 2010 को दंतेवाड़ा में CRPF की टुकड़ी पर नक्सलियों ने धावा बोल दिया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद एसटीएफ लखनऊ ने 29 अप्रैल 2010 को कारतूस घोटाले का खुलासा किया। जिसमें पता चला कि केंद्रीय आयुध भंडार रामपुर से नक्सलियों के पास अवैध रूप से कारतूस पहुंचाए जा रहे थे। इसी कारतूस का इस्तेमाल नक्सलियों ने दंतेवाड़ा हमले में किया था। इस घोटाले के मास्टरमाइंड पीएसी से रिटायर दारोगा यशोदानंद की मौत हो चुकी हैं।

समान रूप से चलेगी सजा

वहीं इस मामले में अब आरोपियों को सजा सुनाई गई है। मामले की जानकारी देते हुए सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रताप सिंह मौर्य ने कहा कि सभी दोषियों पर समान रूप से सजा चलेगी। जिन लोगों को सजा सुनाई गई है उनमें 20 पुलिस पीएसी और सीआरपीएफ के जवान हैं जबकि 4 सिविलियन शामिल हैं। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने सरकारी कारतूस, मैगजीन, खोखा और हथियारों के पुर्जे अवैध रूप से बेचने के लिए चोरी की थी। इन्होने कारतूसों को नक्सलियों के हाथों बेच दिया था।

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