लखनऊ। यूपी के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाने में पूजा होने या न होने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने हिंदुओं को व्यास जी तहखाने में पूजा करने की अनुमति दे दी है। बता दें कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने वाराणसी जिला जज के पूजा शुरू कराने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वहीं हाईकोर्ट के इस फैसले पर राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने प्रतिक्रिया दी है।
हिंदू पक्ष के पास उचित सबूत
मीडिया से बात करते हुए राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि सर्वेक्षण के बाद ही वाराणसी जिला अदालत ने आदेश दिया था कि पूजा होनी चाहिए। हाईकोर्ट इसे नहीं रोक सकता क्योंकि रोकने का कोई आधार नहीं है। यह मंदिर था और वहां पूजा होती थी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। जिस तरह राम जन्मभूमि का फैसला आया था, उसी तरह ज्ञानवापी का फैसला भी आएगा क्योंकि हिंदू पक्ष के पास उचित सबूत हैं।
31 साल बाद आया ऐतिहासिक फैसला
बता दें कि 1 फरवरी को 31 साल बाद ज्ञानवापी परिसर में पूजा-अर्चना शुरू हुई। तड़के ही लोग बड़ी संख्या में ज्ञानवापी के व्यास तहखाने में पूजा करने के लिए पहुंचे। 31 जनवरी को वाराणसी जिला कोर्ट के जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हिंदुओं को व्यासजी के तहखाने में पूजा करने का अधिकार दिया। पिछले 31 सालों यानी कि 1993 से तहखाने में पूजा-पाठ बंद था।