लखनऊ। जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण और रंगदारी मामले में 7 साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही 50 हज़ार का जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले में अब पूर्व सांसद ने प्रयागराज हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। दायर याचिका में पूर्व सांसद की तरफ से MP-MLA कोर्ट द्वारा सुनाई गई 7 साल की सजा रद्द करने,जमानत पर रिहाई की मांग की गई है।
जानें पूरा मामला
मुजफ्फरनगर के रहने वाले अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को थाना लाइनबाजार में अपहरण, रंगदारी समेत अन्य धाराओं में धनंजय सिंह और उनके साथी विक्रम पर मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि अभिनव सिंघल को गिरफ्तार कर पूर्व सांसद के आवास पर ले जाया गया और उनके साथ मारपीट की गई। साथ ही गंदी-गंदी गालियां देकर धमकाया गया।
43 मुकदमें दर्ज
जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की क्राइम कुंडली काफी लंबी है। उसका आपराधिक इतिहास तीन दशक से ज्यादा का है। वर्ष 1991 से 2023 के बीच जौनपुर, लखनऊ और दिल्ली में उनके ऊपर 43 से अधिक मुकदमें दर्ज है। इनमें से 22 मामलों में वो दोषमुक्त कर दिए गए हैं। यह पहला मामला है जब धनंजय सिंह दोषी पाए गए हैं। साल 1991 में उनके ऊपर पहला मुकदमा दर्ज कराया गया था।
कौन हैं धनंजय सिंह?
बता दें कि धनंजय सिंह जौनपुर से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया। साल 2002 में 27 साल की उम्र में वो विधानसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की। इसके बाद 2007 में जदयू के टिकट पर विधायक बने फिर बसपा में शामिल हो गए। 2009 लोकसभा चुनाव में बसपा के टिकट से जीत हासिल की।