Friday, November 22, 2024

इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, पत्नी अगर 18 वर्ष से ऊपर की तो मेरिटल रेप अपराध नहीं

लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरिटल रेप को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि 18 साल या उससे अधिक आयु की पत्नी मेरिटल रेप का चार्ज लगाती है तो इस मामले में आरोपित व्यक्ति को संरक्षण जारी रहेगा। इस दौरान अदालत ने 2017 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का उल्लेख किया जिसमें SC ने कहा था कि एक पति और उसकी 15 से 18 वर्ष के बीच की आयु की पत्नी के बीच यौन संबंध को बलात्कार माना जायेगा। वहीं जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने एक व्यक्ति को अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध के मामले में बरी कर दिया।

SC में लंबित है याचिकाएं

अदालत ने कहा कि इस मामले में आरोपी को आईपीसी की धारा 377 के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की पीठ ने कहा कि भारत में अभी तक मेरिटल रेप को अपराध नहीं माना गया है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि चूंकि मेरिटल रेप को अपराध घोषित करने की मांग करने वाली याचिकाएं अभी भी SC में लंबित हैं। जब तक शीर्ष अदालत इस मामले में फैसला नहीं कर देती, तब तक पत्‍नी 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की नहीं हो जाती वैवाहिक बलात्कार के लिए सजा का प्रावधान नहीं है।

जानिए पूरा मामला

दरअसल वर्ष 2013 में संजीव गुप्ता के खिलाफ उसकी पत्नी ने गाजियाबाद पुलिस थाना में IPC की धारा 498A , 323, 377 और दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया था। जिसके बाद गाजियाबाद की अदालत ने उक्त धाराओं के तहत उसे दोषी करार दिया। फिर अपीलीय अदालत ने भी निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया। इस पर याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई हुई। इलाहबाद हाई कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 के तहत दोषसिद्धि को लेकर कहा कि विवाह के बाद, पति की ओर से पत्नी का बलात्कार किया जाना इस देश में अब तक अपराध नहीं है।

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