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इस तरह से करें होलिका दहन, जानें इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

लखनऊ। होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस साल होलिका दहन की तिथि 13 मार्च को है। होलिका दहन को छोटी होली भी कहा जाता है। होलिका दहन का त्योहार बुराई की अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन को अच्छाई के तौर पर मनाया जाता है। होलिका दहन के […]

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Holika Dahan
  • March 11, 2025 7:22 am IST, Updated 20 hours ago

लखनऊ। होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस साल होलिका दहन की तिथि 13 मार्च को है। होलिका दहन को छोटी होली भी कहा जाता है। होलिका दहन का त्योहार बुराई की अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होलिका दहन को अच्छाई के तौर पर मनाया जाता है। होलिका दहन के दौरान घर में सुख-संपत्ति की कामना की जाती है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

मान्यता है कि होलिका दहन के दिन घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर जाती है। इसलिए पूरे श्रद्धा भाव से होलिका दहन किया जाना चाहिए। होलिका दहन के दिन रात के समय होलिका को दहन किया जाता है। अब सवाल यह उठता है कि होलिका दहन किस समय करनी चाहिए या इसे दहन करने का शुभ मुहूर्त क्या है। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो होलिका को दहने करने का शुभ मुहूर्त गुरुवार को है। गरुवार की रात 11.26 बजे से इसका शुभ मुहूर्त शुरू होगा। जो देर रात 12.30 बजे जाकर समाप्त हो जाएगा। होलिका को शुभ मुहूर्त में दहन करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा चली जाती है।

होलिका दहन की विधि

होलिका दहन वाले सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लेना चाहिए। नहाने के बाद व्रत का संकल्प लेने के बाद होलिका दहन की तैयारी करनी चाहिए। होलिका दहन की सारी सामग्री इकट्ठा करने के बाद होलिका और प्रह्लाद की प्रतिमा को स्थापित करके भगवान नरहिंह की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद होलिका को अग्नि दें। होलिका की तीन बार प्रक्रिमा करनी चाहिए। भगवान नरसिंह से प्रार्थना करते हुए आग में गेहूं की बालिया, जौ और गोबर के उपले डालने चाहिए।

इन मंत्र का करें जाप

इसके बाद अग्नि में गुलाल और जल को डालें। होलिका की राख को घर ले जाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है। यदि आपके घर में वास्तु दोष है तो होलिका की राख को दक्षिण पूर्व दिशा में रखें। इससे घर का वास्तु दोष दूर होता है। होलिका दहन की ज्वाला को देखने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। अहकूटा भयत्रस्तै: कृता त्वं होलि बालिशै:, अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम। मंत्र का जाप करना चाहिए।


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