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राम की नगरी अयोध्या से शुरू होगा श्रीकृष्ण जन्मभूमि आंदोलन, सदस्यीय समिति का गठन

लखनऊ। रामलला की चौखट से ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि आंदोलन की शुरूआत होगी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति के लिए देश के साथ ही विदेशों तक भी आंदोलन को पहुंचाया जाएगा। इसके लिए महाकुंभ की धरती पर महासंवाद की नींव रखी गई है। भगवान राम की नगरी अयोध्या से महासंवाद की शुरूआत करके आंदोलन को देश के […]

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Krishna Janmabhoomi
  • February 12, 2025 6:27 am IST, Updated 1 week ago

लखनऊ। रामलला की चौखट से ही श्रीकृष्ण जन्मभूमि आंदोलन की शुरूआत होगी। श्रीकृष्ण जन्मभूमि की मुक्ति के लिए देश के साथ ही विदेशों तक भी आंदोलन को पहुंचाया जाएगा। इसके लिए महाकुंभ की धरती पर महासंवाद की नींव रखी गई है। भगवान राम की नगरी अयोध्या से महासंवाद की शुरूआत करके आंदोलन को देश के शहर और गांव-गांव तक ले जाने की योजना है।

महाकुंभ में महासंवाद की नींव

इसके साथ ही आंदोलन को धार देने के लिए विश्वभर के विधि विशेषज्ञ, संत और विचारकों की 51 सदस्यीय समिति का गठन किया जा रहा है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्म भूमि की मंदिर के लिए राममंदिर आंदोलन से संबंधित पुरनियों से भी संपर्क किया जा रहा है। इसकी समिति में साधु-संत, रिटायर जज, रिटायर्ड अधिकारी, शिक्षाविद, वास्तुशास्त्री, आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के सदस्य भी आंदोलन समिति का हिस्सा रहेंगे। श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि महाकुंभ में महासंवाद की नींव रखी जा चुकी है।

5 करोड़ लोगों को जोड़ने का लक्ष्य

जन-जन में चेतना जगाने के लिए शहर से गांव तक महासंवाद किया जाएगा। इसकी शुरूआत अयोध्या में भगवान राम का आशीर्वाद लेकर होगी। अयोध्या में महासंवाद के बाद काशी, मथुरा के साथ ही सभी बड़े शहरों के बाद गांवों की ओर बढ़ेगे। इस जनचेतना आंदोलन को देश ही नहीं विदेशों तक लेकर जाना है। इसके लिए 51 सदस्यीय संचालन समिति का भी गठन किया जा रहा है। इसमें हर क्षेत्र के विशेषज्ञ को शामिल किया जाएगा। महासंवाद के माध्यम से इस आंदोलन से पांच करोड़ लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

मंदिर बनाने के लिए करेंगे त्याग

इसके अतिरिक्त हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसमें अभी तक तीन करोड़ से अधिक लोग अपने हस्ताक्षर कर चुके हैं। सुमेरूपीठाधीश्वर नरेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि मंदिर तो हर हाल में बनाएंगे, चाहे इसके लिए जो भी त्याग करना पड़े।


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