लखनऊ। सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व होता है। निर्जला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को लक्ष्मी- नारायण की असीम कृपा प्राप्त होती है। साथ ही समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। सभी एकादशियों में से […]
लखनऊ। सनातन धर्म में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व होता है। निर्जला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को लक्ष्मी- नारायण की असीम कृपा प्राप्त होती है। साथ ही समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। सभी एकादशियों में से निर्जला एकादशी का सबसे अधिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, एक निर्जला एकादशी का व्रत रखने से 24 एकादशियों का फल प्राप्त होता है।
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इस साल निर्जला एकादशी 2 दिन मनाई जाएगी। पहले दिन स्मार्त निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसके बाद दूसरे दिन वैष्णव निर्जला एकादशी का व्रत किया जाएगा। उदया तिथि के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत 6 जून 2025 को रखा जाएगा। स्मार्त निर्जला एकादशी व्रत को 6 जून को और वैष्णव निर्जला एकादशी का व्रत 7 जून 2025 के दिन रखा जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक निर्जला एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सारे पाप धूल जाते हैं। साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी के दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है। दान-पुण्य करने से धन की कमी नहीं होती है। ऐसा माना जाता है कि व्यासजी के कहने पर ही भीम ने निर्जला एकादशी का व्रत रखा था। इसी की वजह से इसे भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है। भीम ने इस एकादशी का व्रत मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया था। इस व्रत को रखने से जीवन में खुशहाली आती है। निर्जला एकादशी का व्रत कठिन माना जाता है क्योंकि इसमें जल और भोजन को पूरी तरह से त्यागना होता है। इस दिन व्रत करने वाले को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्रत का पालन संयम और नियम से करना चाहिए।