लखनऊ: विपक्षी महागठबंधन ‘I.N.D.I.A’ आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में खुद को मजबूत करने में जुटा हुआ है। गठबंधन बहुजन समाज पार्टी को अपने साथ लाने की कोशिश में लगा हुआ है। कांग्रेस पार्टी इसमें सूत्रधार की भूमिका निभा रही है। बताया जा रहा है कि इसी सिलसिले में गांधी परिवार और बीएसपी सुप्रीमो मायावती के बीच कई दौर की बातचीत भी हो चुकी है। गांधी परिवार की ओर से प्रियंका गांधी बसपा नेतृव से बातचीत कर रही हैं।
मायावती और प्रियंका गांधी के बीच मुलाकात
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए ‘I.N.D.I.A गठबंधन हर संभव कोशिश कर रहा है। यूपी में बसपा को गठबंधन में शामिल करने की कोशिशें उसकी इसी रणनीति का हिस्सा बताई जा रही हैं। जानकारी के मुताबिक 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ही कांग्रेस और बसपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच बातचीत साथ आने को लेकर बातचीत शुरु हुई थी, लेकिन उस वक्त यह बातचीत सफल नतीजे तक नहीं पहुंच सकी थी। हालांकि दोनों पार्टियों के बीच संवाद बना हुआ है। इस बीच खबर है कि पिछले महीने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी और बसपा प्रमुख मायावती की मुलाकात भी हो चुकी है। इस मुलाकात के पीछे बसपा के एक पूर्व सांसद की अहम भूमिका बताई जा रही है।
बसपा के आने से सहज रहेगी सपा?
इन सारी चर्चाओं के बीच बड़ा सवाल ये है कि क्या I.N.D.I.A गठबंधन में बसपा के आने से समाजवादी पार्टी सहज रहेगी।यूपी में बसपा को गठबंधन में शामिल करने में सबसे ज्यादा रुचि कांग्रेस नेतृत्व ही ले रहा है और उसकी बड़ी वजह भी है. चुनाव दर चुनाव में खराब प्रदर्शन करने के बाद भी बसपा के पास अभी भी यूपी में अपना 10-12 फीसदी का ठोस वोट बैंक है। यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का बीते दिनों उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा सीट को लेकर सपा के खिलाफ दिए गए बयान को भी इसी कवायद जोड़ा जा रहा है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर ही अजय राय ने यह बयान दिया था।
सपा के साथ कांग्रेस के अनुभव अच्छे नहीं
माना जा रहा है कि जैसे-जैसे बहुजन समाज पार्टी के साथ कांग्रेस की बात आगे बढ़ेगी, वैसे-वैसे कांग्रेस नेताओं के ओर से इस तरह के और भी बयान सामने आएंगे. गांधी परिवार के नजदीकी नेता ने बताया कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में कांग्रेस के अनुभव ज्यादा अच्छे नहीं रहे थे। उस वक्त सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने की बात कही थी. 145 विधानसभा सीट देने का वादा करके सपा ने कांग्रेस को 105 सीटें ही दी थीं। जिसमें से भी सपा ने अपने 10 प्रत्याशी कांग्रेस के सिंबल पर लड़ाए थे। इस तरह से कांग्रेस के हिस्से में कुल 403 सीटों में सिर्फ 95 सीटें ही आई थीं।