लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से देश में शोक की लहर है. हर कोई उनके काम और देश के विकास में उनके योगदान को याद कर रहा है. उनकी नीतियों ने भारत को आर्थिक संकट से बचाया था। दुनिया के अग्रणी अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने कई ऐसे फैसले लिये जो देश […]
लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन से देश में शोक की लहर है. हर कोई उनके काम और देश के विकास में उनके योगदान को याद कर रहा है. उनकी नीतियों ने भारत को आर्थिक संकट से बचाया था। दुनिया के अग्रणी अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने कई ऐसे फैसले लिये जो देश के लिये फायदेमंद साबित हुये। हालांकि एक वक्त ऐसा भी आया जब उनके एक फैसले की वजह से उनकी ही सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे.
देश में साल 2008 में जब यूपीए की सरकार थी, सरकार का गठन सपा और लेफ्ट पार्टियों की सहयोग से बनी थी। लेकिन मनमोहन सिंह का एक निर्णय जो उनके सरकार पर संकट ला दिया। ऐसे में सपा के जनक मुलायम सिंह ने उनकी सरकार को इस संकट से उबारा था।
साल 2008 में मनमोहन सरकार ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौता किया. लेकिन उनके सहकर्मी उनके इस फैसले के खिलाफ थे. सपा और तमाम वामपंथी दल सिंह साहब के इस फैसले के खिलाफ थे. हालांकि विपरित हालात होने के बाद भी मनमोहन सिंह अपने निर्णय से अपना कदम पीछे नहीं किए. जिस वजह से लेफ्ट पार्टियों ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिरने की नौबत आ गई।
ऐसे में लेफ्ट पार्टियों के समर्थन वापस लेने के बाद सभी की निगाहें अब सपा के तरफ थी कि वो सरकार का सपोर्ट करेगी या नहीं. हालांकि, सपा भी इस फैसले के खिलाफ थी. ऐसे में अमर सिंह कांग्रेस और सपा के बीच सहयोगी बने और मुलायम सिंह को मना लिया.
बता दें कि अमर सिंह उन दिनों मुलायम सिंह के बेहद खास थे. मुलायम उनकी बात सुनते थे और उन्हें तवज्जो भी देते थे. अमर सिंह की सलाह के बाद मुलायम सिंह ने अपना रुख बदल लिया. उन्होंने परमाणु समझौते को लेकर सरकार का समर्थन किया. आख़िरकार मुलायम सिंह ने मनमोहन सिंह सरकार पर आए संकट को सुलझाया और इस तरह सरकार गिरने से बच गई.