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अपने गढ़ में प्रचार करने क्यों नहीं गईं मायावती? BSP के सिटिंग सांसद BJP से लड़ रहे हैं चुनाव

लखनऊ। राजनीति का भी रिश्ता अजब है। कभी जुड़ाव तो कभी दुराव। अंबेडकरनगर व BSP के संबंधों में भी कुछ ऐसा ही है। करीब 3 दशक की राजनीति में यह पहला मौका है जब बसपा प्रमुख मायावती पार्टी के गढ़ रहे अंबेडकरनगर से अभी दूरी बनाई हुई हैं। चुनाव प्रचार करने भी नहीं पहुंचीं। वहीं, […]

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  • May 23, 2024 6:05 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

लखनऊ। राजनीति का भी रिश्ता अजब है। कभी जुड़ाव तो कभी दुराव। अंबेडकरनगर व BSP के संबंधों में भी कुछ ऐसा ही है। करीब 3 दशक की राजनीति में यह पहला मौका है जब बसपा प्रमुख मायावती पार्टी के गढ़ रहे अंबेडकरनगर से अभी दूरी बनाई हुई हैं। चुनाव प्रचार करने भी नहीं पहुंचीं। वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दो सभाएं अपेक्षित थीं, लेकिन आचार संहिता के फेर में उनका भी दौरा नहीं हो पाया। प्रचार खत्म होने के अंतिम दिन 23 मई को गृहमंत्री अमित शाह की सभा हो रही है।

जिले की राजनीति बसपा के इर्द गिर्द घूमती आई है। वर्ष 1995 में बसपा प्रमुख मायावती ने ही मुख्यमंत्री के तौर पर अंबेडकरनगर नाम से नए जनपद की सौगात दी थी। बसपा उसके बाद लोकसभा और विधानसभा चुनावों में धमाकेदार प्रदर्शन करती रही। मायावती खुद यहां के चुनाव प्रचार की कमान पूरी मजबूती से संभालती रहीं। शुरुआती दौर में तो यहां दो-दो रैली और जनसभा भी होती थी। इस बार भी उम्मीद थी कि वह अंबेडकरनगर में जोरदार प्रचार करेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

BSP में काफी कुछ बदला

इस चुनाव में बसपा के लिए काफी कुछ बदल गया है। पिछले 5 वर्ष में पार्टी के कई बड़े नेता सपा और BJP में जा चुके हैं। यहां टिकट को लेकर खींचतान भी मची रही। प्रचार के नाम पर राष्ट्रीय संयोजक पद से हटाए जाने के पहले मायावती के भतीजे आकाश आनंद ही यहां एक रैली कर सके। पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्र तक का दौरा यहां नहीं लगा।


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