लखनऊ: बीते दिन 17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में प्राधिकारियों को उसकी इजाजत के बिना आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्ति सहित अन्य संपत्तियों को 1 अक्टूबर तक बुलडोजर नहीं चलाने का आदेश दिया है. जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की बेंच ने स्पष्ट कहा है कि यह आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइन या जलाशयों जैसे सार्वजनिक जगहों पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा. शीर्ष कोर्ट के इस निर्णय के बाद अब बसपा मुखिया मायावती का बड़ा बयान सामने आया गया है. उत्तर प्रदेश सहित देश के अलग-अलग राज्यों में हो रही बुलडोजर एक्शन पर बसपा चीफ मायावती ने अपनी चिंता जाहिर की है.
एक्स पर ट्वीट कर मायावती ने उठाया सवाल
मायावती ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर ट्वीट किया, “बुलडोजर विध्वंस कानून का राज का प्रतीक नहीं होने के बावजूद इसके प्रयोग की बढ़ती प्रवृति चिन्तनीय। वैसे बुलडोजर व अन्य किसी मामले में जब आम जनता उससे सहमत नहीं होती है तो फिर केन्द्र को आगे आकर उस पर पूरे देश के लिए एक-समान गाइडलाइन्स बनाना चाहिए, जो नहीं किए जा रहे हैं।
कानूनी राज के अमल होने पे ध्यान दें
बसपा मुखिया ने आगे लिखा, ” वरना बुलडोजर एक्शन के मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट को इसमें दख़ल देकर केन्द्र सरकार की ज़िम्मेवारी को खुद नहीं निभाना पड़ता, जो यह ज़रूरी था। केन्द्र व राज्य सरकारें संविधान व कानूनी राज के अमल होने पर ज़रूर ध्यान दें।”
बुलडोजर का इस्तेमाल सुनिश्चित हो
बता दें कि बसपा चीफ का बयान उन मामलों में आया है, जहां कई प्रदेशों में अवैध निर्माण के खिलाफ बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया, जो आम पब्लिक और विपक्षी पार्टियों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है। मायावती का मानना है कि बुलडोजर का इस्तेमाल सही तरीके से सुनिश्चित किया जाना चाहिए। जिससे जनता में विश्वास बना रहे और न्याय मिल सके।
सुनवाई के दौरान कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की बेंच ने साफ़ तौर पर कह दिया है कि बुलडोजर का इस्तेमाल सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों आदि पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा. बेंच ने यह भी कहा.”यदि अवैध ध्वस्तीकरण का एक भी उदाहरण है…तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है.”