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UP Politics: PDA की वजह से मुश्किल में फंसे अखिलेश यादव, अपने ही उठाने लगे सवाल

लखनऊ। सपा अध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव अपनी बनाई हुई रणनीति में ही फंस गए हैं। ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यकों पर उनकी बनाई हुई रणनीति का विपरीत असर हुआ और साथ ही ऊंची जातियों और पीडीए वर्गों ने भी उन पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। सपा पर समावेशिता की नीति […]

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  • March 2, 2024 6:16 am IST, Updated 12 months ago

लखनऊ। सपा अध्यक्ष व प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव अपनी बनाई हुई रणनीति में ही फंस गए हैं। ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यकों पर उनकी बनाई हुई रणनीति का विपरीत असर हुआ और साथ ही ऊंची जातियों और पीडीए वर्गों ने भी उन पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।

सपा पर समावेशिता की नीति छोड़ने का आरोप

हाल में हुए राज्यसभा चुनाव में सपा की तरफ से 7 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। इन सात विधायकों में से 5 ऊंची जातियों के थे। जिनमें 3 ब्राह्मण और 2 राजपूत थे। इन विधायकों ने सपा पर समावेशिता की नीति छोड़ने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि पीडीए हमारे लिए जगह नहीं छोड़ता है। स्वामी प्रसाद मौर्य सनातन धर्म की आलोचना करते रहे और अखिलेश ने चुप्पी साधे रखी। इससे यही पता चलता है कि उन्होंने मौर्य द्वारा आलोचना को अपनी सहमति दी थी।

मंदिर का दौरा पार्टी लाइन से ऊपर हो

गुरुवार को अयोध्या में रामलला के दर्शन करने वाले विधायकों में से एक, मनोज पांडे ने कहा कि पार्टी के अधिकांश विधायक मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के साथ ही अयोध्या जाना चाहते थे। उन्हें लगा कि मंदिर का दौरा पार्टी लाइन से ऊपर होना चाहिए लेकिन हमारे नेताओं ने नहीं जाने का फैसला किया और हमें मजबूरन इसका पालन करना पड़ा।

पल्लवी पटेल ने नाराजगी दिखाई

इधर ऊंची जाति के विधायकों के अलावा ओबीसी नेता भी पीडीए के फॉर्मूले पर सवाल उठाने लगे हैं। पल्लवी पटेल ने राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों के चयन पर नाराजगी दिखाई और कहा कि जया बच्चन और आलोक रंजन जैसे उम्मीदवारों का चयन पीडीए में कैसे हुआ। हालांकि बाद में वह मान गईं लेकिन उन्होंने अपना वोट दलित प्रत्याशी रामजी लाल सुमन को दिया।


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