गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के राजनीति में अपना जलवा कायम करने वाले बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी का बीते रात 16 मई को गोरखपुर स्थित उनके आवास तिवारी हाता पर उनका निधन हो गया। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से निकलकर प्रदेश की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने वाले में से एक हरिशंकर तिवारी का नाम शुमार है। उन्होंने वर्ष 1985 में चिल्लूपार विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर अपने राजनीति का सफर तय किया था। उस समय जेल में रहते हुए निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर हरिशंकर तिवारी ने अपना प्रभाव दिखाया था। वह लगातार 22 सालों तक गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। राजनीति में बाहुबल के बढ़ते प्रभाव के बीच हरिशंकर तिवारी ने अपनी पहचान को क्षेत्र में जातीय समीकरण से जोड़ा और एक अजेय समीकरण तैयार कर लिया। यही कारण रहा कि चाहे वे कांग्रेस में रहे हों या फिर निर्दलीय, या फिर अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस में लोगों ने उन्हें उनके नाम पर चुना। उन्होनें 91 वर्ष की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। उनके बेटे और पूर्व विधायक विनय तिवारी ने बताया कि हरिशंकर तिवारी पिछले तीन सालों से बीमार चल रहे थे।
हरिशंकर तिवारी का राजनीति सफर
1985 में अपने राजनीति सफर की शुरुआत करने वाले तिवारी प्रदेश में एक बड़े ब्राह्मण नेता के तौर पर अपनी पहचान और पकड़ बनाई। उसके बाद गोरखपुर के चिल्लूपार विधानसभा सीट से लगातार 6 बार विधायक चुने गए और पांच बार यूपी सरकार में मंत्री रहें। हालांकि 2007 में उनको राजेंद्र त्रिपाठी से हार का सामना करना पड़ा। उनके बेटे विनय तिवारी ने कहा कि हरिशंकर तिवारी दिल की बीमारी समेत कई रोगों से ग्रसित थे, बीमारियों ने भी उन्हें घेर लिया था। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ है। बुधवार को मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार होगा।
पांच मुख्यमंत्रियों के सरकार में रहें मंत्री
हरिशंकर तिवारी ने का प्रदेश के राजनीति में कितना दबदबा था इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह प्रदेश के पांच मुख्यमंत्रियों की सरकार में मंत्री थे। वर्ष 1997 से वर्ष 2007 तक पांच मुख्यमंत्रियों के कैबिनेट में उन्होंने जगह बनाई। प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह, मायावती और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकारों में वे लगातार कैबिनेट मंत्री रहे।