लखनऊ। हाल ही में सपा से निष्कासित हुई नेता ऋचा सिंह ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपने खिलाफ की गई कार्रवाई को पार्टी संविधान के खिलाफ और अलोकतांत्रिक बताया है। चुनाव आयोग से शिकायत करते हुए ऋचा सिंह ने कहा कि हुए उन्हें न तो कारण बताओ नोटिस दी गई और न ही अपना पक्ष रखने को कहा गया।
पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण किया बाहर
बता दें कि सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस को लेकर लगातार बयानबाजी कर रहे थे। उनके बयान ने यूपी में सियासी घमासान मचा दिया था। समाजवादी पार्टी के नेता ही उनके विरुद्ध आवाज उठाने लगे थे। इसी क्रम में ऋचा सिंह एवं रोली तिवारी मिश्रा ने स्वामी प्रसाद मौर्य को लेकर अपनी नाराजगी जताई। जिसके बाद सपा ने दोनों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। गौरतलब है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की पहली महिला अध्यक्ष ऋचा सिंह कभी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की करीबी नेताओं में शुमार थी।
निष्कासन पार्टी संविधान के खिलाफ
वहीं सपा से निष्कासित होने के बाद ऋचा सिंह ने चुनाव आयोग को पत्र लिख कर कहा है कि उनका सपा से निष्कासन पार्टी संविधान के खिलाफ है। अपने निष्कासन को लेकर शिकायत करते हुए ऋचा सिंह ने समाजवादी पार्टी के संविधान का भी हवाला दिया है। मालूम हो कि ऋचा सिंह सीएम योगी का विरोध कर सुर्खियों में आई थी।
कारण बताओ नोटिस तक जारी नहीं की गई
आयोग को लिखे पत्र में ऋचा सिंह ने सपा से निष्कासन को अलोकतांत्रिक, अपमानजनक और पार्टी के संविधान के खिलाफ बताया। साथ ही चुनाव आयोग से इस बात की भी शिकायत की है कि उन्हें कारण बताओ नोटिस तक जारी नहीं की गई।
लोहिया की विचारधारा से भटक चुकी है सपा
उल्लेखनीय है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के विरोध में लगातार बयान देने के कारण समाजवादी पार्टी ने ऋचा सिंह एवं रोली तिवारी मिश्रा को पार्टी से निष्कासित कर दिया। जिसके बाद ऋचा सिंह ने ट्वीट कर चुनाव आयोग जाने का ऐलान कर दिया। ऋचा सिंह ने समाजवादी पार्टी पर यह भी आरोप लगाया कि सपा अब लोहिया की विचारधारा से भटक चुकी है। यदि आज लोहिया और जयप्रकाश नारायण होते तो शायद उन्हें भी पार्टी से बाहर निकाल दिया जाता। ऋचा सिंह ने रामचरितमानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य की विवादित टिप्पणी को बर्दाश्त से बाहर बताया था।