लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के जनक डॉ. मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। गुरुवार रात 9.51 बजे दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया। उन्होंने आरबीआई गवर्नर से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया. आर्थिक सुधारों की दिशा में उन्होंने जीएसटी, गरीबों को रसोई गैस की खरीद पर सब्सिडी, नरेगा, […]
लखनऊ: पूर्व प्रधानमंत्री और आर्थिक सुधारों के जनक डॉ. मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। गुरुवार रात 9.51 बजे दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया। उन्होंने आरबीआई गवर्नर से लेकर प्रधानमंत्री तक का सफर तय किया. आर्थिक सुधारों की दिशा में उन्होंने जीएसटी, गरीबों को रसोई गैस की खरीद पर सब्सिडी, नरेगा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, आरटीआई जैसे कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनका असर देश की अर्थव्यवस्था पर आज भी दिख रहा है।
बता दें कि डॉ. मनमोहन सिंह 1991 से लेकर 1996 तक देश के वित्त मंत्री रहे। इसके बाद वो 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री की पद पर रहे. इससे पहले वह आरबीआई के गवर्नर भी रह चुके हैं। उन्होंने भारत की आर्थिक संरचना को मजबूत और उदार बनाने के लिए कई क्रांतिकारी कदम उठाए। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी पहचान बनाई। तो आइए जानते हैं उनके 10 बड़े आर्थिक सुधारों के बारे में.
डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न क्षेत्रों (खुदरा, विमानन, दूरसंचार, बीमा) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा बढ़ाई। इससे विदेशी कंपनियों का निवेश बढ़ा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा हुए और तकनीकी प्रगति हुई।
वित्त मंत्री रहते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने 1991 में आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (एलपीजी) की नीति लागू की। औद्योगिक लाइसेंस राज समाप्त हुआ, विदेशी निवेश के दरवाजे खुले और भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार हुई।
डॉ. मनमोहन सिंह ने वर्ष 2005 में नरेगा लागू किया, जो ग्रामीण भारत में रोजगार की गारंटी देने वाला कार्यक्रम है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी कम करने और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिली।
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2010 में पेट्रोल की कीमतों को बाजार से जोड़ने और डीजल की कीमतों में चरणबद्ध बढ़ोतरी की नीति अपनाई। नतीजा यह हुआ कि सब्सिडी का बोझ कम हुआ और तेल कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ.
डॉ. मनमोहन सिंह ने जीएसटी की नींव रखी, इसकी अवधारणा को आगे बढ़ाया और विभिन्न करों को एकीकृत करने की दिशा में काम किया। हालाँकि, यह कर प्रणाली बाद में वर्ष 2017 में लागू हुई। कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाया गया।
डॉ. मनमोहन सिंह ने राजमार्ग, बंदरगाह और रेलवे जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को प्रोत्साहित किया। इससे लॉजिस्टिक लागत कम हुई और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।
डॉ. मनमोहन सिंह ने बैंकों में एनपीए की समस्या को कम करने के लिए मजबूत नीतियां बनाईं। ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए बैंकों को ग्रामीण शाखाएँ खोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
डॉ. मनमोहन सिंह ने आईटी और सॉफ्टवेयर क्षेत्र को मजबूत करने के लिए नीतियां बनाईं, जिससे भारत एक वैश्विक आईटी केंद्र बन गया। यह क्षेत्र भारत के लिए निर्यात और रोजगार का एक प्रमुख स्रोत बन गया।
वर्ष 2013 में ही डॉ. मनमोहन सिंह ने चीनी उद्योग को नियंत्रण मुक्त कर दिया और कोयला आवंटन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनाईं। इससे संबंधित क्षेत्रों में निवेश बढ़ा और उत्पादन में सुधार हुआ.
डॉ. मनमोहन सिंह ने गरीबों को रियायती दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना लागू की। खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होने के साथ-साथ कुपोषण की समस्या भी कम हुई।