लखनऊ। बीजेपी उम्मीदवार जितिन प्रसाद ने पीलीभीत से पर्चा भर लिया है। वहीं नामांकन की तय समय सीमा समाप्त होने के साथ ही यह स्पष्ट हो गया कि वरुण गांधी निर्दलीय चुनाव लड़ने नहीं जा रहे हैं। तमाम कयास और चर्चाएं समाप्त हुई ही साथ ही मेनका-वरुण गांधी का पीलीभीत से 35 साल पुराना रिश्ता भी समाप्त हो गया।
पीछे हटे वरुण
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले इस बात की चर्चा तेज थी कि वरुण गांधी का टिकट इस बार कट जायेगा। बीजेपी ने यहां से जितिन प्रसाद को अपना उम्मीदवार बनाया। नामांकन के अंतिम समय तक इस बात की चर्चा तेज थी कि वरुण गांधी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन वरुण ने अपने कदम पीछे खींच लिए।
टूटा 35 साल का रिश्ता
मेनका गांधी ने 1982 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत अमेठी में जेठ राजीव गांधी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़कर की थी. इसके बाद 1989 में वो पीलीभीत से सांसद बनीं. 2009 में वरुण यहां से सांसद बने। पीलीभीत की जनता ने वरुण को रिकॉर्ड मतों से जिताया। मेनका गांधी यहां से 6 बार सांसद रह चुकी हैं जबकि वरुण 2 बार। 1996 से इनका परिवार लगातार पीलीभीत पर राज कर रहा है। हालांकि इस बार 35 साल पुराना रिश्ता टूट गया है।
जितिन प्रसाद को मिलेगी टक्कर
मालूम हो कि इस बार बीजेपी ने पीलीभीत सीट से वरुण गांधी की जगह पर यूपी कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद को बतौर उम्मीदवार उतारा है। बसपा ने पूर्व मंत्री अनीस अहमद खान और सपा ने भगवत शरण गंगवार को प्रत्याशी बनाया है। सपा उम्मीदवार भगवत शरण गंगवार 5 बार MLA रह चुके हैं।