लखनऊ: देश में लोकसभा चुनाव का माहौल है। इस बीच उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में हलचल तेज है। (Loksabha Election) इस दौरान बसपा सुप्रीमों मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और अपने उत्तराधिकारी पद से हटा दिया है। मायावती ने आकाश आनंद को पिछले साल दिसंबर में ही अपना उत्तराधिकारी बनाया था। हालांकि अब इसका खुलासा मायावती ने खुद किया है। वहीं इस फैसले के बाद सभी पार्टियों के अपने-अपने तर्क सामने आ रहे हैं।
मायावती ने एक्स पर ट्वीट किया
अब इस फैसले के बाद बसपा सुप्रीमों मायावती ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा कि विदित है कि बीएसपी एक पार्टी के साथ ही बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान तथा सामाजिक परिवर्तन का भी मूवमेन्ट है जिसके लिए मान्य. श्री कांशीराम जी व मैंने खुद भी अपनी पूरी ज़िन्दगी समर्पित की है और इसे गति देने के लिए नई पीढ़ी को भी तैयार किया जा रहा है।
आकाश में अभी पूर्ण परिपक्वता नहीं
मायावती ने ट्वीट करते हुए आगे लिखा कि इसी क्रम में पार्टी में, अन्य लोगों को आगे बढ़ाने के साथ ही, श्री आकाश आनन्द को नेशनल कोओर्डिनेटर व अपना उत्तराधिकारी घोषित किया, किन्तु पार्टी व मूवमेन्ट के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता (maturity) आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है।
आनन्द कुमार पहले की तरह ही निभाते रहेेंगेे जिम्मेदारी
इसके साथ ही बसपा सुप्रीमों ने ट्वीट करते हुए आगे लिखा कि जबकि इनके पिता (आकाश आनंद) श्री आनन्द कुमार पार्टी व मूवमेन्ट में अपनी जिम्मेदारी पहले की तरह ही निभाते रहेेंगेे। अतः बीएसपी का नेतृत्व पार्टी व मूवमेन्ट के हित में एवं बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के कारवाँ को आगे बढ़ाने में हर प्रकार का त्याग व कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटने वाला है।
इस फैसले पर अन्य पार्टियों का तर्क
कांग्रेस – बता दें कि बसपा सुप्रीमों के इस फैसले के बाद से देश भर में तरह-तरह के चर्चाएं हो रही है। कांग्रेस पार्टी का कहना है कि मायावती किसको किस पद पर रखती हैं व किसको हटाती हैं वह उनका अपना आंतरिक फैसला है। साथ ही पार्टी का कहना है कि अगर आकाश आनन्द में पूर्ण परिपक्वता नहीं थी तो मायावती ने उन्हें कोऑर्डिनेटर क्यों बनाया?
सपा – इस फैसले के बाद सपा पार्टी का आरोप है कि बीजेपी और बसपा में अघोषित गठबंधन है, साथ ही पार्टी का कहना है कि इस लोकसभा चुनाव में बसपा ने जिस प्रकार से उम्मीदवारों को बदलने का फैसला लिया या फिर जिस तरह से टिकट का बंटवारा हुआ है, उसे जनता देख रही है। इससे यही कहा जाएगा कि इस फैसले में बीजेपी का कहीं न कहीं प्रभाव दिख रहा है।