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Electoral Bond: इलेक्टोरल बॉन्ड मोदी सरकार का सबसे बड़ा घोटाला, अजय राय ने केंद्र को घेरा

लखनऊ। यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र ने कंपनियों से चंदा लेकर उन्हें धंधा दिया। उनसे रिश्वत ली और मनी लांड्रिंग और प्रवर्तन निदेशालय के डर से चंदा लिया है। अभी 2018 से 2019 के […]

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  • March 15, 2024 11:15 am Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

लखनऊ। यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र ने कंपनियों से चंदा लेकर उन्हें धंधा दिया। उनसे रिश्वत ली और मनी लांड्रिंग और प्रवर्तन निदेशालय के डर से चंदा लिया है। अभी 2018 से 2019 के कुछ हिस्से की जानकारी सार्वजानिक नहीं हुई है। इसमें 95 फीसदी पैसा भाजपा को मिला है। इसके अलावा अजय राय ने पीएम केयर फंड पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की।

भाजपा को 6000 करोड़ चंदा

चुनाव आयोग ने गुरुवार,14 मार्च की शाम को इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। डेटा के मुताबिक बीजेपी को सबसे ज्यादा चंदा मिला है। 12 अप्रैल 2019 से लेकर 11 जनवरी 2024 तक भारतीय जनता पार्टी को 6,060 करोड़ रुपए चंदे के रूप में मिले है। तृणमूल कांग्रेस को 1,609 करोड़ और कांग्रेस को 1,421 करोड़ का चंदा मिला है। चुनाव आयोग ने गुरुवार को 763 पेजों की दो लिस्ट अपने वेबसाइट पर डाली। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया था कि 15 मार्च तक डेटा सार्वजनिक किया जाए।

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड

बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड पॉलिटिकल पार्टी को चंदा देने का एक वित्तीय माध्यम है। यह एक ऐसा वचन पत्र है जिसे भारतीय नागरिक या कंपनी SBI की चुनिंदा शाखाओं से खरीद सकता है। साथ ही उक्त व्यक्ति या कंपनी किसी भी पॉलिटिकल पार्टी को गुप्त तरीके से दान दे सकता है। साल 2017 में मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की घोषणा की थी। इसे 29 जनवरी 2018 को लागू कर दिया गया था।


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