लखनऊ। देश में एक बार फिर से समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। बता दें कि 22वें विधि आयोग ने UCC पर जनता से एक महीने के अंदर राय मांगी है। इससे पहले 7 साल पहले यानी 2016 में भी जनता से इस मामले पर राय मांगी गई थी। जिसके बाद 2018 में रिपोर्ट जारी कर कहा कि फिलहाल सामान नागरिक संहिता की देश में जरुरत नहीं है। वहीं इसे लेकर देश में बवाल शुरू हो गया है। इन सबके बीच यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बयान सामने आया है।
पर्सनल लॉ बोर्ड भारत का संविधान नहीं
केशव प्रसाद मौर्य ने कहा है कि सेकुलर नेता ग़ज़ब के दोमुंहा हैं जो पंथनिरपेक्ष देश की वकालत करते हैं, लेकिन इसके लिए पंथ निरपेक्ष क़ानून यानी समान नागरिक संहिता का नाम सुनकर बिदकने लगते है।
उन्होंने आगे कहा कि पर्सनल लॉ बोर्ड भारत का संविधान नहीं है। समान नागरिक संहिता का उल्लेख भारत के संविधान में किया गया है, जिसे लागू करना समय की मांग है। यह ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ को और सशक्त करेगा।
जानिए क्या है UCC
बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ है एक देश, एक कानून अर्थात एक देश में रहने वाले सभी नागरिकों यानी हर धर्म, जाति, लिंग के लोगों के लिए एक कानून। यदि देश में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना हो या संपत्ति का बंटवारा, इन सभी विषयों में नागरिकों के लिए एक जैसा कानून रहेगा। संविधान के अनुच्छेद 44 में यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र है।