Saturday, November 9, 2024

Chandrashekhar Aajad : सांसद चंद्रशेखर ने सीएम योगी को लिखा पत्र, 69 हजार शिक्षक बहाली में आरक्षण की मांग

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में एक बार फिर 69 हजार शिक्षकों की भर्ती का मामला गरमाया हुआ है। इस मामले को लेकर अब राजनीतिक गलियारों में पारा तेज हो गया है। इस बीच आज बुधवार को नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर 69 हजार शिक्षक भर्ती में आरक्षण की अनियमितता का मुद्दा फिर से उठाया है। उन्होंने इस पत्र को सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट भी किया है।

भीम आर्मी चीफ ने पत्र लिखते हुए की अपील

नगीना एमपी चंद्रशेखर आजाद ने शिक्षक भर्ती में आरक्षण में हुई विसंगति व प्रभावित अभ्यार्थियों की नियुक्ति के बारे में सीएम योगी को पत्र लिखते हुए मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि उत्तर प्रदेश में संपन्न हुई 69000 सहायक शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों की अनदेखा की वजह से आरक्षित वर्ग के अभियार्थियों का मानक के अनुरूप चयन नहीं हो सका है, जिसकी वजह से अभ्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है।

आंदोलन करने और खून के आंसू रोने को मजबूर

मंत्री नगीना ने आगे लिखा कि ऐसे अभ्यार्थी सड़कों पर आंदोलन करने और खून के आंसू रोने को मजबूर है। इस विषय में लिखते हुए उन्होंने सीएम योगी से निवेदन किया है। आग्रह करते हुए लिखा इन अभ्यर्थियों की परेशानियों का संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को निर्देशित करें कि प्रभावित अभ्यर्थियों की नियुक्ति जल्द से जल्द की जाए.’

69000 शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण का पालन नहीं

सांसद ने आगे लिखा, ‘राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 29 अप्रैल 2021 को अपनी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी थी, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि 69000 शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया है।’

दो साल से अधिक समय बीत गए अभी तक नियुक्ति नहीं

सांसद नगीना ने आगे लिखा, ‘5 जनवरी 2022 को बेसिक शिक्षा विभाग ने प्रक्रिया में गलती मानते हुए 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों की सूची प्रकाशित कर नियुक्ति देने की बात कही, लेकिन 2 साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद इन अभ्यार्थियों को नियुक्ति नहीं मिल पाई है।’

जल्द से जल्द नियुक्ति दी जाए

पत्र में भीम आर्मी चीफ ने कहा है कि इन समस्याओं से प्रभावित अधिकारियों को निर्देशित किया जाए ताकि प्रभावित अभ्यर्थियों को जल्द से जल्द नियुक्ति दी जाए ताकि वे 5 साल की बेरोजगारी से छुटकारा पाकर सामान्य जीवन जीने की राह पर आगे बढ़ सकें और संविधान की मूल भावना को भी अक्षुण्ण रखा जा सके।

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