लखनऊ: पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि जेल से रिहा हो गए हैं। इसके बाद महाराजगंज के नौतनवां कस्बे में पूर्व मंत्री के आवास पर समर्थकों की भीड़ लगी हुई है। प्रशंसक मिठाई और ढोल बजाकर जश्न मना रहे हैं। बताते चलें कि कवियत्री मधुमिता शुक्ला के हत्या के मामले में 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून की विशेष अदालत ने अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को जेल से रिहा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अच्छे आचरण करने वाले कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसमें इन दोनों की तरफ से भी याचिका दाखिल की गई थी। अब शासन ने भी दोनों को जेल से रिहा करने के आदेश दे दिए हैं।
क्या है मधुमिता शुक्ला हत्याकांड?
9 मई 2003 को लखनऊ के निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। मशहूर कवयित्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड ने उस समय की यूपी की तत्कालीन बसपा सरकार को हिला दिया था। बताया जाता है कि जांच के दौरान मधुमति शुक्ला और अमरमणि त्रिपाठी के बीच प्रेम-प्रसंग का मामला निकल कर सामने आया था। उस समय अमरमणि त्रिपाठी बसपा के कद्दावर नेताओं में शुमार थे। देहरादून की फास्ट ट्रैक अदालत ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।