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रोड एक्सीडेंट पर अखिलेश यादव का बड़ा बयान, ट्वीट कर उठाए कई सवाल

लखनऊ: सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सड़क सुरक्षा पर भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बताया है, इसपर अखिलेश यादव ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सपा प्रमुख ने अपने एक सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘‘रोड सेफ़्टी’ मतलब ‘सड़क सुरक्षा’ कार्यक्रम में- 80% दुर्घटनाओं के मूल कारण में भ्रष्टाचार होता है.’ करप्शन ख़त्म हो […]

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  • December 2, 2024 10:36 am Asia/KolkataIST, Updated 11 months ago

लखनऊ: सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सड़क सुरक्षा पर भ्रष्टाचार को जिम्मेदार बताया है, इसपर अखिलेश यादव ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सपा प्रमुख ने अपने एक सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर लिखा, ‘‘रोड सेफ़्टी’ मतलब ‘सड़क सुरक्षा’ कार्यक्रम में- 80% दुर्घटनाओं के मूल कारण में भ्रष्टाचार होता है.’

करप्शन ख़त्म हो जाए तो सड़के सही बनेंगे

सपा मुखिया अखिलेश ने आगे लिखा, “अगर PWD में करप्शन ख़त्म हो जाए तो सड़के सही बनेंगे, चेतावनी चिन्ह सही होंगे। स्पीड ब्रेकर बनेंगे, गाड़ी बेक्रर नहीं। अगर RTO में करप्शन ख़त्म हो जाए तो सही गाड़ियाँ ही चलेंगी, अनफिट नहीं। सही में गाड़ी चलाना सीखे हुए लोगों को ही ड्राइविंग लाइसेंस मिलेगा।”

https://twitter.com/yadavakhilesh/status/1863500127052112215

भाजपा राज में डिजिटल इंडिया का गजब इस्तेमाल

अखिलेश यादव ने लिखा, “अगर Traffic Police में करप्शन ख़त्म हो जाए तो वो चौराहों पर खड़े होकर नियमों का पालन करवाएंगे न कि कोने में छिपकर नियम तोड़ने का इंतज़ार करेंगे। अब तो GPAY पर किसी और नंबर पर पैसे से ले लेते हैं। भाजपा राज में डिजिटल इंडिया का ये अजब इस्तेमाल हो रहा है।”

भाजपा पर बरसे

अखिलेश यादव ने आगे लिखा,”सबसे बड़ी बात ये है कि अगर टोल वसूली भाजपाइयों के जेब के गड्ढे न भरकर सही में सड़क के गड्ढे भरने और रखरखाव में काम आए और सत्ता में बैठे लोग अगर ज़रा भी ईमानदारी बरतते हुए TECHONOLOGY का सही इस्तेमाल करें तो मीडिया को ROAD SAFETY पर कार्यक्रम नहीं करने पड़ेंगे।”

ट्रैफिक नियमों को पढ़ाया जाएं

उन्होंने आगे लिखा,”सच्चे मीडियावाले ⁃संविधान सेफ़्टी, लोकतंत्र सेफ़्टी, सामाजिक न्याय सेफ़्टी, जस्टिस सेफ़्टी, समानता सेफ़्टी और मीडिया सेफ़्टी जैसे दूसरे विषयों पर भी कुछ ऐसे प्रोग्राम कर सकेंगे। ‘रोड सेफ़्टी’ के लिए ट्रैफिक नियमो को बचपन से ही पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाकर, उनमें जीवन के मूल्य के लिए चेतना जगाकर, जनता को रचनात्मक तरीक़े से समझाकर ही सार्थक परिणाम निकाले जा सकते हैं।


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