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मेरठ पहुंची ‘भारत’ की गोल्डन गर्ल पारुल चौधरी, मंत्री संजीव बालियान ने फूलमालाओं से किया स्वागत

लखनऊ। चीन के हांगझोउ में हो रहे एशियन गेम्स में यूपी की बेटी पारुल चौधरी ने स्वर्मिण दौड़ लगाई। उत्तर प्रदेश के मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलीट पारुल चौधरी ने भारत को पहले चांदी और फिर सोना दिलाया। मेरठ की गोल्डन गर्ल पारुल चौधरी आज अपने गांव पहुंची। इस दौरान उनका गर्मजोशी से पुष्पवर्षा कर स्वागत […]

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  • October 7, 2023 1:09 pm IST, Updated 1 year ago

लखनऊ। चीन के हांगझोउ में हो रहे एशियन गेम्स में यूपी की बेटी पारुल चौधरी ने स्वर्मिण दौड़ लगाई। उत्तर प्रदेश के मेरठ की अंतरराष्ट्रीय एथलीट पारुल चौधरी ने भारत को पहले चांदी और फिर सोना दिलाया। मेरठ की गोल्डन गर्ल पारुल चौधरी आज अपने गांव पहुंची। इस दौरान उनका गर्मजोशी से पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने फूलमालाओं से पारुल का अभिनंदन किया। पारुल के स्वागत के लिए शहरवासी और ग्रामीण बेहद बेताब दिखे। जैसे ही वो शिवाया टोल प्लाजा पर पहुंची तो लोगों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया।

पिछड़ने के बाद की वापसी

बता दें कि यूपी की बिटिया ने सोमवार को 3,000 मीटर स्टीपल चेज में रजत पदक जीता तो वहीं मंगलवार को 5,000 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक अपने नाम किया। अपने स्वर्णिम रफ़्तार को पदक में बदलने वाली पारुल हालांकि राष्ट्रीय रिकार्ड से महज 4.4 सेकेंड पीछे रह गई। इस वर्ष जुलाई में बैंकॉक में आयोजित एशियन एथलेटिक चैंपियनशिप में दो पदक जीते थे। एशियन एथलेटिक चैंपियनशिप में पारुल ने 3,000 मीटर स्टीपल चेज में स्वर्ण पदक जीता था जबकि 5,000 मीटर दौड़ में रजत पदक जीता था। वहीं अब एशियन गेम्स में स्टीपल चेज में रजत पदक और 5,000 मीटर में स्वर्ण पदक जीता है। मंगलवार को 5000 मीटर की दौड़ में पारुल जापान की रीरिका हीरोनेका से पीछे चल रही थीं लेकिन अंतिम 40 मीटर में उन्होंने जापानी प्रतिद्वंदी को पीछे छोड़कर सोना जीत लिया।

नोनी घी और चने की रोटी ने दिलाया सोना

पारुल चौधरी इस स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं। गोल्डन गर्ल पारुल का जीवन संघर्षमय रहा है। साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाली पारुल ने अपनी बड़ी बहन के साथ गांव में ही खेलों में भाग लेना शुरू किया। गांव की टूटी-फूटी सड़कों पर ही अभ्यास करती थीं। अपने कोच के कहने पर स्टेडियम में जाकर अभ्यास करना शुरू किया। उनकी मां राजेश देवी कहती है कि उनकी बिटिया ने तो गाय का नोनी घी और चने की रोटी खाकर ही गोल्ड जीत लिया।


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