लखनऊ। महाकुंभ मेले के साथ मौनी अमावस्या का आना बहुत बड़ा शुभ अवसर है। ऐसा माना जाता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा मे स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है। इस साल महाकुंभ मेले का योग भी त्रिवेणी संगम पर यानि प्रयागराज मे हो रहा है। इसीलिए मौनी अमावस्या को दिव्य अवसर माना जा रहा है।
मौनी अमावस्या का संयोग
यह त्योहार माघ मास की अमावस्या को पड़ता है। यहीं कारण है कि इसे माघी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस साल यह योग 29 जनवरी 2025 को बन रहा है। इसी दिन गंगा नदी में स्नान के साथ दान- पुण्य करना भी बहुत लाभकारी माना जाता है। हमारी हिन्दू संस्कृति के मुताबिक इस दिन मौन व्रत रखने की परंपरा है, इसीलिए इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है।
अनंत श्री विभूषित जगद्गुरु श्री प्रियदर्शी जी महाराज द्वारा रचित, अभूतपूर्व ग्रंथ ‘श्रीकृष्ण चरित मानस’ (रसायन महाकाव्य) में मौन व्रत रखने के कई महत्व बताए गए है।
मौनी व्रत करने का महत्व
मौन केवल शब्दों का मौन नहीं बल्कि मन का मौन होता है। मानस में कहा गया है कि, मौन व्रत रखने से मन शांत होता है। यह आत्मा की शुद्धि का व्रत है, साथ ही साथ मौन व्रत से मन की एकाग्रता भी बढ़ती है। साथ ही ध्यान केंद्रित करने में आसानी होती है। व्रत करने से मनुष्य को कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति मिलती है। व्रत से निर्णय लेने में सफलता हासिल होती है। मौन व्रत से मनुष्य के जीवन में कई सारे सकारात्मक परिवर्तन आते है।
इस व्रत के लाभ
जब भी मन शांत होता है तब हम ईश्वर के साथ गहरे और दिव्य तरीके से जुड़ जाते हैं। यही कारण है कि मौनी अमावस्या इतनी महत्वपूर्ण है। मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना भी अच्छा माना जाता है, जिससे मनुष्य के पितृ दोष दूर हो जाते है। मौन व्रत का पालन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति और मन की स्थिरता मिलती है। मौन, जो अपने आप मे केवल एक शब्द नहीं है बल्कि वह एक मन है जिस पर विजय पाने से मनुष्य को सफलता हासिल होती है।