लखनऊ: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल माघ पूर्णिमा को संत रविदास जयंती मनाई जाती है। इस साल संत रविदास जयंती 12 फरवरी, बुधवार को है। संत रविदास ने रविदासिया संप्रदाय की स्थापना की। उन्हें संत शिरोमणि की उपाधि दी गयी। कुछ इतिहासकारों के अनुसार गुरु रविदास जी का जन्म 1377 ई. में उत्तर प्रदेश […]
लखनऊ: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल माघ पूर्णिमा को संत रविदास जयंती मनाई जाती है। इस साल संत रविदास जयंती 12 फरवरी, बुधवार को है। संत रविदास ने रविदासिया संप्रदाय की स्थापना की। उन्हें संत शिरोमणि की उपाधि दी गयी। कुछ इतिहासकारों के अनुसार गुरु रविदास जी का जन्म 1377 ई. में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर के एक गाँव में हुआ था, जबकि कुछ विद्वानों का मानना है कि उनका जन्म वर्ष 1399 में हुआ था। गुरु रविदास को रैदास, रोहिदास और रूहीदास के नाम से भी जाना जाता है।
गुरु भक्ति आंदोलन के प्रसिद्ध संत थे। उनके भक्ति गीतों और छंदों का भक्ति आंदोलन पर अमिट प्रभाव पड़ा। महान संत गुरु रविदास और उनके योगदान को दुनिया आज भी याद करती है और उनके सम्मान में हर साल रविदास जयंती का त्योहार मनाया जाता है।
शिक्षा के अलावा समाज सुधार में भी गुरु रविदास जी का विशेष योगदान देखने को मिलता है। उन्होंने सामाजिक समानता के लिए आवाज उठाई और लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक किया।
पौराणिक कहानियों के अनुसार, एक बार की बात है जब संत रविदास को उनके पिता ने उनके अपने ही घर से उन्हें निकाल दिया था। जिसके बाद वे एक कुटिया में रहने को मजबूर हो गए थे और साधु-संतों की सेवा करना शुरू कर दिया था। बता दें कि संत रविदास जूते-चप्पल बनाने का काम करते थे। फिर वह भक्ति आंदोलन में कूद पड़े। इस वजह से कुछ संत रविदास के विचारों से अधिक प्रभावित होने लगे और उनके द्वारा कहे गए विचारों को मानने लगे। इस दौरान उनके अनुयायियों की संख्या लगातार बढ़ती चली गई। जिससे वे गुरु रविदास शिरोमणि के रूप में प्रख्यात हो गए।
बता दें कि इस साल गुरु रविदास जी की 648वीं जयंती है. इस दिन संत रविदास के भक्त भजन कीर्तन करते हैं, जुलूस निकालते हैं और लंगर आदि का आयोजन करते हैं।