लखनऊ। मकर संक्रांति सनातन धर्म का एक प्रमुख पर्व है। इस पर्व को जनवरी माह की 14 तारीख को मनाया जाता है। इस दिन को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से खरमास खत्म हो जाता है। जिससे शुभ और मांगलिक कार्यों की फिर से शुरुआत हो जाती है। आइए जानते हैं मकर सक्रांति का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि?
साधन पितरों का तर्पण और पिंडदान
मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, जिसे उत्तरायण की शुरूआत होती है। उत्तरायण को शुभ समय के रूप में माना जाता है। यह समय आत्मा और शरीर की शुद्धि के लिए खास होता है। इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा और कई अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अगर इस दिन दान, जप और तप किया जाए तो हजार गुना पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन साधक अपने पितरों का तर्पण और पिंडदान भी करते हैं, जिससे पितृतृप्ति होती है। साथ ही उनकी कृपा मिलती है।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त
मकर संक्रांति केवल धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह समर्पण, दान और करुणा का भी प्रतीक है। इस दिन किए गए दान और अच्छे कार्यों का फल जीवन में विकास और समृद्धि के रूप में प्राप्त होता है। मकर संक्रांति के दिन यानी आज सूर्य देव सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रान्ति का शुभ मुहूर्त 14 जनवरी की सुबह 09:03 से शुरू होगा। जो शाम 05:46 बजे समाप्त होगा। महा पुण्य काल समय सुबह 09:03 से सुबह 10:48 बजे के बीच रहेगा।
मकर संक्रांति का पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। अगर इस दिन किसी पवित्र नदी स्नान किया जाए तो और शुभ माना जाता है। अगर ऐसा संभव ना हो तो पानी में गंगाजल मिलाकर नहाएं। नहाने के बाद व्रत का संकल्प लें। इस दिन पीले वस्त्र पहनकर सुर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। सुर्य देव को अर्घ्य देने के साथ सूर्य चालीस पढ़ना शुभ होता है। अगर हो सके तो आखिर में सूर्य भगवान की आरती करें और गरीबों और जरुरतमंद को दान करें।