लखनऊ। सनातन धर्म में सावन के पहले सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। इस दिन भगवान महाकाल की पूजा की जाती है। सावन के पहले सोमवार के दिन व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से मानसिक क्लेशों से छुटकारा मिलता है। यदि श्रवण के महीने में सोमवार का व्रत किया जाए तो यह अधिक फलदायक सिद्ध होता है। यह व्रत चैत्र, श्रावण और कार्तिक मास में किया जाता है। इस व्रत में सोमवार के दिन उपवास रखकर भगवान शंकर, माँ पार्वती की पूजा-अर्चना करनी चाहिए तथा दिन में एक बार भोजन करना चाहिए। सोमवार का व्रत रखने से स्त्रियों को पति, पुत्र का सुख मिलता है।
सावन सोमवार की पूजन विधि
भगवान शंकर की पूजा का श्रेष्ठ समय का काल माना जाता है। अतः सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों को जल्दी से निपटा कर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान करने के बाद पूजन हेतु ध्यान कर भस्म धारण कर कुशा पर बैठें। पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुख रखें। चौकी पर नया सफेद कपड़ा बिछाएं, उस पर तांबे के लोटे में जल भरे। सोमवार को भगवान शिव की प्रतिमा तथा शिवलिंग की स्थापना करें। बेल पत्र, जल, पुष्प, अक्षत एवं दक्षिणा इत्यादि सामग्रियों को अपने पास रखें। भगवान शिव की पूजा करने के बाद व्रत कथा पढ़नी चाहिए। व्रत कचा पूरा करने के बाद भगवान शिव को भोग लगाकर तुलसी के पौधे को अर्घ्य दें। पूरे दिन में एक बार भोजन करें।
सावन सोमवार का महत्व
इस व्रत के बारे में कहा जाता है कि ग्रहणादि में जप, दान, ध्यान, हवन, उपासना आदि सत्कार्य करने से जो फल मिलता है, वही फल सोमवार के व्रत से भी मिलता है। श्रावण में केदारनाथ का ब्रह्म कमल से पूजन, अर्चन, दर्शन तथा केदार क्षेत्र में निवास का विशेष महत्व है। इससे भगवान शंकर की प्रसन्नता और शिव की कृपा प्राप्ति होती है। यही लाभ सोमवार के व्रत से भी मिलता है। सोमवार का व्रत करने से लोगों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं संतान की प्राप्ति भी इस व्रत से होती है। जो भी सावन के सोमवार का व्रत करता उस पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है।