लखनऊ। काली चौदस के दिन मां काली की खास तरीके से पूजा- अर्चना की जाती है। इसे रूप चौदस या नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। मां काली को समर्पित यह पर्व दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां काली की पूजा करने से सभी परेशानी दूर होती है।
काली चौदस का शुभ मुहूर्त
साथ ही मां काली की प्रतिमा के आगे दीप जलाने से व्यक्ति सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। वहीं सभी तरह के पापों से मुक्ति भी मिलती है। हिंदू पंचांग के मुताबिक कार्तिक माह की अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 03: 52 मिनट पर शुरू होगी। जो 01 नवंबर को शाम में 06: 16 मिनट पर समाप्त होगी। मां काली की पूजा निशिता काल में होती है। ऐसे में काली चौदस 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। काली चौदस के दिन मां काली की पूजा करने से पहले अभ्यंग स्नान करना आवश्यक होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते है।
काली चौदस की पूजा विधि
इस दिन मां काली की पूजा करने से नहाकर इत्र लगाना चाहिए। उसके बाद एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाए और उस पर मां काली की मूर्ति को रखे। प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं। उसके बाद पुष्प, फल, हल्दी, कपूर, कुमकुम, नारियल और नैवेद्य मां काली को चढ़ाए। आखिर में काली चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जाप करे। मान्यता है कि काली चौदस के दिन विधि विधान से पूजा करने वालों को मानसिक और शारीरिक सुख की प्राप्ति होती है।
महाकाली की अराधना प्रभावी
इसके साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। ऐसा माना जाता है की काली चौदस पर काली पूजा करने से शत्रु पर विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है। जो साधक तंत्र साधना करते हैं काली चौदस के दिन महाकाली की साधना को सबसे प्रभावी मानते है।