लखनऊ। लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दल टिकट बंटवारे में लगे हुए हैं। यूपी में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को शिकस्त देने के लिए सपा काफी सोच समझकर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर रही है लेकिन इतने मंथन के बाद भी समाजवादी पार्टी टिकट बंटवारे को लेकर असमंजस की स्थिति में है। दरअसल प्रत्याशियों के नामों के ऐलान के बाद भी अखिलेश यादव को कई सीटों पर अपने उम्मीदवार बदलने पड़ रहे हैं। सपा का यह दांव उसपर उल्टा भी पड़ सकता और इससे भाजपा को सीधे तौर पर फायदा मिल सकता है।
उल्टा साबित होगा दांव
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रही है। सीट शेयरिंग में प्रदेश की 80 सीटों में से सपा 63 तो कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। समाजवादी पार्टी ने अब तक 51 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है लेकिन सपा प्रमुख कई सीटों पर बार बार कैंडिडेट्स बदल रहे हैं। सपा की इस रणनीति पर राजनीतिक विशेषज्ञ हैरान हैं कि कही यह दांव उल्टा न साबित हो जाए।
इतने सीटों पर बदले चुके प्रत्याशी
बता दें कि सपा ने अपने कोटे के 63 में से 51 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए। इसमें से 6 सीटों पर उम्मीदवार को बदल चुके हैं। शुरुआत बदायूं सीट से हुई, जहां पहले धर्मेंद्र यादव को प्रत्याशी बनाया गया लेकिन बाद में शिवपाल यादव को टिकट दिया गया। अब कहा जा रहा है कि शिवपाल की जगह पर उनके बेटे आदित्य यादव को टिकट दिया जाएगा। शिवपाल यादव ने यह बात कह भी दिया है कि वो चाहते हैं कि आदित्य बदायूं सीट से चुनाव लड़े। इसके अलावा बिजनौर, मुरादाबाद, नोएडा, मेरठ पर भी उम्मीदवार बदले जा चुके हैं।
इन जगहों पर उलझन
समाजवादी पार्टी ने बिजनौर लोकसभा सीट से पहले यशवीर सिंह को टिकट दिया था। बाद में यहां से दीपक सैनी को उम्मीदवार बना दिया। ऐसे ही मेरठ सीट से भानू प्रताप सिंह को टिकट दिया लेकिन बाद में उनका टिकट काटकर अतुल प्रधान को प्रत्याशी बनाया और फिर अब सुनीता वर्मा को प्रत्याशी बना दिया है। इस तरह से मेरठ सीट से 3 बार प्रत्याशी बदला जा चुका है। नोएडा सीट से पहले डा. महेंद्र नागर को प्रत्याशी बनाया गया बाद में उनकी जगह पर राहुल अवाना को टिकट दे दिया गया और अब नोएडा सीट को फिर से होल्ड पर रख दिया गया है। इसी तरह से मुरादाबाद से पहले एसटी हसन को टिकट दिया गया उन्होंने नामांकन भी दाखिल कर दिया। बाद में अखिलेश यादव ने रुचि वीरा को टिकट दे दिया, उन्होंने भी नामांकन दाखिल कर दिया बाद में फिर से एसटी हसन का नाम सामने आया लेकि तब तक नामांकन का समय खत्म हो गया था।
वोटर्स के बीच जा रहा गलत संदेश
अखिलेश यादव की रणनीति की वजह से पार्टी के नेता पशोपेश में है। जिन्हें टिकट मिला हुआ है वो भी कुछ नहीं समझ पा रहे। 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान भी अखिलेश यादव ने यह दांव खेला था लेकिन यह उल्टा पड़ा। मतदाताओं के बीच में भी काफी कन्फ्यूजन रहा क्योंकि कई सीटों से सपा के दो-दो नेताओं ने नामांकन दाखिल कर दिया था। अब लोकसभा चुनाव में अखिलेश फिर से वही गलती दोहरा रहे हैं। बार-बार प्रत्याशी बदलने से मतदाताओं में गलत सन्देश जा रहा है।