Wednesday, January 15, 2025

कौन हैं नागिन साध्वी, जानिए क्या हैं उनकी पहचान और कैसे करती है जीवन व्यतीत

लखनऊ। संगम नगरी प्रयागराज में महाकुंभ का आज तीसरा दिन है। एक दिन पहले यानि मकर संक्रांति पर 3.50 करोड़ श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान किया था। अभी भी यहां तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ सुबह से ही है। लोग इस दौरान नागा साधुओं से आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। महानिर्वाणी अखाड़े के 68 महामंडलेश्वर और हजारों साधुओं ने त्रिवेणी संगम में डूबकी लगाई।

इन अखाड़ों ने किया अमृत स्नान

वहीं निरंजनी अखाड़े के 35 महामंडलेश्वर और हजारों नागा साधुओं ने अमृत स्नान में हिस्सा लिया। इसके अतिरिक्त आवाहन अखाड़ा, जूना अखाड़ा और पंचाग्नि अखाड़े के हजारों संतों ने भी अमृत स्नान किया। शाही स्नान के दौरान हजारों नागिन साध्वियां भी इसमे शामिल रहीं। आइए आपकों बताते है कौन है ये नागिन साध्वियां?

महिला साधू का महाकुंभ में योगदान

प्रयागराज महाकुंभ में हर बार की तरह इस बार भी नागा साधुओं ने सुर्खियां बटोरी है। पुरुषों के समान ही महिला नागा साधू भी महाकुंभ में अपनी अहूती दे रही हैं। महिला नागा साधु ने गृहस्थ जीवन को छोड़कर साध्वी का जीवन अपनाया है। इनके दिन की शुरुआत और समाप्ति दोनों पूजा-पाठ से होती है। महिला नागा साधु का जीवन कई तरह की परेशानियों से भरा होता है। महिला नागा साधु, पुरुष नागा साधुओं से कई मायनों में अलग होती, वे दिगंबर नहीं रहतीं।

पीरियड्स के दौरान नहीं करती स्नान

वे सभी केसरिया रंग के वस्त्र पहनती हैं, लेकिन वह वस्त्र सिला हुआ नहीं होता। इसलिए उन्हें पीरियड्स के दौरान कोई समस्या नहीं होती। कुंभ मेले में नागा साध्वियां भी हिस्सा लेती हैं। अगर पीरियड्स चल हो रहे हो तो वह गंगा में डुबगी नहीं लगाती। केवल शरीर पर गंगा जल छिड़क लेती हैं। महिला नागा साधु बनने के बाद सभी साधु-साध्वियां उन्हें माता कहती हैं। माई बाड़ा में महिला नागा साधु रहती हैं, जिसे अब दशनाम संन्यासिनी अखाड़ा कहा जाता है।

पुरुष साधु से अलग है महिला नागा साधु

पुरुष नागा साधु नग्न रह सकते हैं, लेकिन महिला नागा साधु को नग्न रहने की अनुमति नहीं है। पुरुष नागा साधुओं में वस्त्रधारी और निर्वस्त्र दो तरह के नागा साधु होते हैं। सभी महिला नागा साधु वस्त्रधारी होती हैं। महिला नागा साधुओं को अपने माथे पर तिलक लगाना जरूरी है। महिला नागा साधु गेरुए रंग का केवल एक कपड़ा पहनती हैं, जो सिला हुआ नहीं होता है। महिला नागा साधु के इस वस्त्र को गंती कहा जाता है। महिला नागू साधू पूरी जिंदगी केवल गंती पहनकर गुजारती हैं।

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