लखनऊ: महाकुंभ शुरू होने में गिनती से अब कुछ दिन ही शेष हैं ऐसे में प्रयागराज की सुंदरता का वर्णन किया जाएं तो मन एकदम आध्यात्मिक तो जरूर हो जाएगा। ऐसे में चलिए आज हम प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ के बारे में जानते है, महाकुंभ जहां संगम की हर लहर में है आस्था, जहां ब्रह्मा जी ने किया था पहला यज्ञ. जहां चरणराज के दर्शन के लिए पूरी दुनिया उत्सुक रहती है। तीर्थराज प्रयागराज को अक्षयवट, बड़े हनुमान जी, वेणीमाधव और पवित्र सरस्वती कूप जैसे तीर्थों का आशीर्वाद प्राप्त है। हर श्रद्धालु के स्वागत के लिए पवित्र प्रयागराज तैयार है.
हर गलियों में अध्यात्म माहौल
शहर की हर सड़क, हर मोड़ कला और संस्कृति का जीवंत कैनवास बन गया है। दीवारों पर रामायण, महाभारत और पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे गए हैं, जो हर भक्त को आध्यात्मिक यात्रा पर ले जाते हैं। संगम क्षेत्र में अद्भुत मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जो भारतीय संस्कृति के प्रतीकों और महाकुंभ की महिमा को दर्शाती हैं। पौराणिक नदी सरस्वती का रहस्यमय और पवित्र प्रवाह आज भी सरस्वती कूप में महसूस होता है।
मां सरस्वती गुणगान कर रही हैं
ज्ञान, संगीत और आध्यात्म की देवी मां सरस्वती जहां प्रयागराज के ज्ञान का गुणगान कर रही हैं, वहीं यहां के हर घाट का अमूल्य इतिहास है और कण-कण में भक्ति की कहानी छिपी है। दशाश्वमेध घाट भगवान शिव की महिमा का गुणगान कर रहा है, अश्वमेध यज्ञ हमें भगवान ब्रह्मा की याद दिला रहा है और भारद्वाज आश्रम भगवान राम के आदर्शों का मार्ग दिखा रहा है।
प्रयागराज जरूर पधारे
अगर आप प्रयागराज महाकुंभ में अखाड़ों की दुनिया का अनुभव लेना चाहते हैं तो प्रयागराज आपके आगमन का इंतजार कर रहा है। यहां आपकी मुलाकात अखाड़ों के संतों से होगी, हर अखाड़ा और उसके संत अपने आप में एक किताब हैं। दिव्यता और आध्यात्मिकता का अनुभव करें और मां गंगा के साथ ब्रह्मा, विष्णु, महेश का आशीर्वाद लें और प्रयागराज महाकुंभ का दौरा अवश्य करें।