लखनऊ। असल जिंदगी में एक बागबान जैसा मामला सामने आया। जिसमें वाराणसी के श्रीनाथ खंडेलवाल ने अपनी लाखों की संपत्ति को छोड़कर अपना जीवन वृद्धाश्रम में गुजा रहे थे। जहां वृद्धाश्रम में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। उनके परिवार वाले उन्हें आखिरी विदाई देना तो दूर उनकी चिता को मुखाग्नि देने भी नहीं आए।
100 से ज्यादा किताबें लिखी
बता दें कि श्रीनाथ खंडेलवाल पेशे से एक लेखक है। उन्होंने 100 से भी ज्यादा किताबों लिखी हैं। वह अस्सी करोड़ की संपत्ति के मालिक थे। 80 साल की उम्र में एक वृद्धाश्रम में उनका निधन हो गया। वाराणसी के एक वृद्धाश्रम में रह रहे इस बुजुर्ग लेखक की अचानक से मौत हो गई। ऐसा किसी ने नहीं सोचा होगा कि करोड़ों की संपत्ति के मालिक की इस तरह मौत हो जाएगी। दरअसल, काशी के निवासी श्रीनाथ खंडेलवाल का भरा पूरा परिवार है। उनके दो बेटे और एक बेटी है।
समाज सेवी ने उन्हें वृद्धाश्रम में रखवाया
उनका बेटा पेशे से एक बिजनेसमैन है और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर काम करती है। वह साहित्यकार होने के साथ एक आध्यात्मिक पुरुष भी थे। उन्होंने शिव पुराण और तंत्र विद्या पर काफी किताबें लिखी थी। उनका समय साहित्य और अध्यात्म में बीतता था। इसका फायदा उठाकर उनके बेटे और बेटी ने उनकी सारी संपत्ति अपने नाम कर ली। साथ ही उनको मरने के लिए बेसहारा छोड़ दिया। इसके बाद समाज सेवी अमन आगे आए और उनको उसने काशी कुष्ठ वृद्धा आश्रम मे रखवाया।
बच्चों 4 कंधे के लिए तरसे
करीब दस महीने से वह इस वृद्धा आश्रम मे अपना जीवन बिता रहे थे। आश्रम में उन्हें निशुल्क सेवा मिलती थी। वह काफी खुश थे, लेकिन एक बार भी कोई परिवार का सदस्य उनका हाल-चाल पूछने नहीं आया। अस्सी करोड़ के मालिक और 2023 में पद्मश्री से सम्मानित आध्यात्मिक साहित्यकार के निधन के बाद वह अपने बच्चों के चार कंधे के लिए भी तरस गए। उनकी मौत की सूचना जब उनके परिजनों को दी गई तो उन्होंने आने से साफ मना कर दिया।